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________________ शब्दरूप (६) २२७ परे आम को विकल्प से डेसि (एसिं) आदेश होता है। सव्वेसिं, अन्नेसि, जेसि, तेसिं, केसि, इमेसि । नियम ५०७ (ङ स्सि म्मि स्थाः ३१५६) सर्व आदि अकारान्त शब्दों से परे ङि को स्सि, म्मि और त्थ आदेश होते हैं। सवस्सि, सव्वम्मि, सव्वत्थ । अन्नसिं, अन्नम्मि, अन्नत्थ । नियम ५०८ (न वानिदमेतदो हि ३३६०) इदम् (इम) और एतद् (एअ) को छोडकर शेष अकारान्त सर्व आदि शब्दों से परे ङि को विकल्प से हिं आदेश होता है । सवहि, अन्नहि, कहि, जहि, तहिं । प्रयोग वाक्य हस्थिणि दटुंजणा संगहिआ । पाडी बहुरम्मा लग्गइ। छालीइ दुद्धं खिप्पं पयइ । सउणचडया दाहिणपासे ठिआ सुहा भवइ। वेसरि दटुं सो कत्थ गओ ? सियाली गामम्मि न वसइ । गावीए पयं महुरं भवइ । पडत्थीइ मुल्लो बहु भवइ । सुणई जुगवं पंच वा छ वा जणइ । चडया बहु जंपइ । इमी उट्टी बहुवेगेण धावइ । सुसीला हत्थेण भित्ति विलिहइ । धातु प्रयोग फलस्स बीयो कहं फंफइ ? सो पंच महन्वयाई फासइ । सो कट्ट फाडइ । उसिणेण पाणिएण तण्हा वि न फिट्टइ । तुम णियसरीरं फुसइ । मज्झ दाहिणभुआ फुरइ। सीयकाले कमेलयस्स मुहम्मि फेणायइ। भिक्खू तालियंटेण अप्पणो कायं न फुमेज्जा । पुव्वं बीयं फुटइ पच्छा पत्ताई। धातु का प्रयोग करो इस गांव में हाथी नहीं हथिनी है। जो सोता है उसके पाडी पैदा नहीं होती। बकरी गांव के बाहर चरने के लिए गई है। चिडिया तिनके लाकर क्या बनाती है ? सोनचिडी हरे वृक्ष पर बैठी है। खच्चरी का क्या मूल्य है ? मैंने कल रात सियाली की आवाज सुनी। बहुत दूध देने वाली भैंस को वह खरीदना चाहता है। गायों में काली गाय सबसे उत्तम होती है । मेरी सांड (ऊंटनी) आज टमकोर जाएगी। तुम कागज पर हाथ से किस चित्र की रेखा करते हो? धातु का प्रयोग करो वह बात-बात में उछलता है। साधु स्त्रियों का स्पर्श नहीं करते। वह कपडे को फाडता है। तेरे व्यवहार से मेरा मन फट गया। गर्मी में वह बार-बार पसीने को पोंछता है। यदि पुरुष का दाहिना अंग फरकता है तो वह शुभ है । दूध के झाग बहुत रुचिकर लगते हैं। सुशीला अग्नि को जलाने के लिए फूंक मारती है । पुष्प से पहले अंकुर (अंकुरे) फूटते हैं । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002024
Book TitlePrakrit Vakyarachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1991
Total Pages622
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Grammar, & Literature
File Size20 MB
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