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________________ ६१ . शब्दरूप (६) शब्द संग्रह (पशु वर्ग ४) हथिनी-करेणुआ, करिणी, हत्थिणी बकरी-छाली लोमडी-खिखिरो गाय-धेणू, गो खच्चरी-वेसरी ऊंटनी (सांड)-उट्टी कुत्ती -सुणई, सुणिआ सियाली--सिआली सोनचीडी-सउणचडया बछिया, पाडी--पड्डिया गौरेयी, चीडिया-चडया बहुत दूध देने वाली—पडत्थी अंकुर-अंकुरो धातु संग्रह फंफ----उछलना फुस-पोंछना फंस-छूना फुर-फरकना, हिलना फाड-फाडना फेणाय-झाग निकलना फिट्ट-टूटना फुम-फूंक मारना फुट—विकसना, फूटना, फटना विलिह-विलेखन करना, रेखा करना नपुंसक शब्द नियम ५०२ (क्लीबे स्वरान्म से: ३।२५) नपुंसक स्वरान्त शब्द से परे सि को म् होता है । वणं । दहिं । महुं। नियम ५०३ (जस्-शस् इ ईणयः सप्राग्दीर्घाः ३।२६) नपुंसक शब्द से परे जस् तथा शस् को इँ, इं तथा णि आदेश होते हैं तथा उससे पूर्व में स्थित स्वर को दीर्घ होता है । वणा', वणाई, वणाणि । दही, दहीइं, दहीणि । महूइँ, महूई, महणि । नियम ५०४ (नामन्च्यात सौ मः ३३७) नपुंसक में सम्बोधन अर्थ में सि को म् नहीं होता । हे वण । हे दहि । हे महु । आदि । सर्व शब्द नियम ५०५ (अतः सर्वादे जसः ३१५८) अकारान्त सर्व आदि शब्द से परे जस् को डे (ए) आदेश होता है। सव्वे, अन्ने, जे, ते, के, एक्के, कयरे, एए। नियम ५०६ (आमो डेसि ३।६१) सर्व आदि अकारान्त शब्दों से Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002024
Book TitlePrakrit Vakyarachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1991
Total Pages622
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Grammar, & Literature
File Size20 MB
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