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________________ २२४ प्राकृत वाक्यरचना बोध आकार नहीं होता । मालाअ, मालाइ, मालाए। नियम ४६६ (वाप ए ३।४१) स्त्रीलिंग में संबोधन में सि परे होने पर आप को ए विकल्प से होता है । हे माले, हे माला । नियम ५०० (ईतः सेश्चा वा ३।२८) स्त्रीलिंग ईकारान्त शब्द से परे सि, जस् और शस् को विकल्प से आ आदेश होता है । इत्थीआ, गौरीआ, हसन्तीआ । नियम ५०१ (आ अरा मातुः ३१४६) मातृ शब्द के ऋकार को आ और अरा आदेश होता है, सि आदि परे हो तो। माआ, माअरा, माआउ । माआओ, माअराउ, माअराओ, माअं, माअरं । प्रयोग वाक्य विओ पसू मारइ। मज्जारो मूसिया हंति । ससस्स केसा कोमला भवइ। कुक्कुरो माणावमाणेसु समो भवइ। वाणरो माणुसा भाएइ। उदविडालो बिडालत्तो भिण्णो भवइ। माउस्सिया मूसिअत्तो बहु भीअइ । अमरअजो गामम्मि अणहट्टयो भमइ । गोपती सच्छंदो खेत्ते गामे य अडई। धातु प्रयोग अहं तुमे पत्तिआमि । जो सरं (स्वर) चलेज्ज तस्स भागस्स पयं पुव्वं ठविऊण पत्थाअव्वं । केणावि सह न पदूसियव्वं । तुज्झ वामणेत्तं पप्फुरइ अओ सुहं नत्थि । सूरमुहि पुप्फ सूरिअं पासिऊणं पप्फुल्लइ । तुम णियपबंधम्मि कं विसयं पबंधीअ । एसो णिद्धणो तहवि न पम्हुसइ। मित्तेण सहकयोवयारो पम्हसियव्वो। सीया अज्ज दालिं पयो । आयरियभिक्खू सुहरीगामत्तो (सुधरीग्राम) पयाइंसु।। प्राकृत में अनुवाद करो भेडिया गांव में आकर पशुओं को ले जाता है। बिल्ली चोरी से दूध की मलाई खाती है । खरगोश रात को घूमता है। कुत्ता मार्ग के बीच में सोता है। बंदर एक स्थान से दूसरे स्थान पर कूदकर जाता है। उदबिलाव जंगल में रहता है । चूहा गणेश का वाहन (वाहणं) है । बकरा सरल पशु होता है। इस गांव का सांड कमजोर है। गोशाला में दो सांड हैं। धातु का प्रयोग करो _ मैं जैन धर्म में विश्वास करता हूं। वह अपने घर से कल प्रस्थान करेगा। शत्रु से भी द्वेष नहीं करना चाहिए। आज मेरी दाहिनी आंख फुरकती है । वसंत में वृक्ष विकसित होते हैं। वह अपने विषय को विस्तार से कहता है। तुम चोरी क्यों करते हो? तुमने जो वचन दिए थे उसे Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002024
Book TitlePrakrit Vakyarachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1991
Total Pages622
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Grammar, & Literature
File Size20 MB
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