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शब्दरूप (५)
शब्द संग्रह (पशु वर्ग ३) भेडिया--विओ, कोओ
बंदर--वाणरो लंगूर-गोलांगूलो (सं)
कुत्ता-कुक्कुरो, सारमेयो बिल्ली-मज्जारो, बिडालो
उदविडाल-उदविडालो चूहा-मूसियो
खरगोश-ससो बकरा-अजो
सांड-गोपती (पुं)
धातु संग्रह पत्तिअ-विश्वास करना
पबंध-विस्तार से कहना पत्था-प्रस्थान करना
पम्हुस-चोरी करना पदूस-द्वेष करना
पम्हुस-भूलना पप्फुर---फरकना
पय-पकाना पप्फुल्ल-विकसना
पया--प्रयाण करना स्त्रीलिंग आकारान्त, इवान्त, उवर्णान्त, ऋकारान्त शब्द
नियम ४६५ (स्त्रियामुदोतो वा ३।२७) स्त्रीलिंग में वर्तमान संज्ञा शब्दों से परे जस् एवं शस् प्रत्यय के स्थान पर विकल्प से उ, ओ तथा पूर्व स्वर को दीर्घ हो जाता है । जस्-मालाओ, मालाउ, माला। शस्-मालाओ, मालाउ, माला । जस्-मईओ, मईउ, मई। शस्-मईओ, मईउ, मई । वाणीओ, वाणीउ, वाणी। वाणीओ, वाणीउ, वाणी। धेणुओ, धेणउ, धेणू । घेणुओ, धेणुउ, धेणू । वहूओ, वहूउ, वहू । वहूओ, वहूउ, वहू।
नियम ४६६ (ह्रस्वोमि ३।३६) स्त्रीलिंग संज्ञा शब्द के अंतिम स्वर को ह्रस्व हो जाता है, अम् प्रत्यय परे होने पर। मालं । वाणिं । वहुं।
नियम ४६७ (टा-इस-ङरदादिदेवा तु उसेः ३।२६) स्त्रीलिंग शब्द से परे टा, ङस् और डि के स्थान पर अ, आ, इ तथा ए होते हैं। सि को ये आदेश होने के साथ पूर्वस्वर दीर्घ विकल्प से होता है। मईअ, मईआ, मईइ, मईए । वाणीअ, वाणीआ, वाणीइ, वाणीए । धेणूअ, धेणूआ, घेणूइ, धेणूए । वहूअ वहूआ, वहूइ, वहुए।
नियम ४९८ (नात आत् ३।३०) स्त्रीलिंग में वर्तमान आकारान्त शब्द से परे टा, डस्, ङि और सि को पूर्वनियम के अनुसार होने वाला
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