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________________ ५२ स्वर सहित व्यंजनों का लोप शब्द संग्रह (काल वर्ग १) मुहूर्त -मुहुत्तं काल का सूक्ष्म भाग-समयो दिन-दिवसो, दिवहो रात्रि-रत्ती, राई, निसा मास-मासो पक्ष-पक्खो प्रातःकाल-पगे, उसावेला मध्यदिन-----मज्झण्हो संध्या-संझा पूर्व दिन-पुटवण्हो घटी-घडी ऋतु-उउ (त्रि) रूपया---रूवगं, रूवगो। धातु संग्रह धरिस-क्षुब्ध करना, विचलित करना कुह-सडना विज्ज-विद्यमान होना बाह-बाधा करना, रोकना सिज्ज-स्वेद का आना, पसीजना सव----शाप देना, गाली देना विज्झ-बींधना मज्ज-मद्य करना, अभिमान करना नियम ४३० (व्याकरण-प्राकारागते कगोः ११२६८) व्याकरण और प्राकार शब्दों में क का और आगत शब्द में ग का लुक विकल्प से होता है। फ>लोप-व्याकरणम् (वारणं, वायरणं) का 7 लोप----प्राकारः (पारो, पायारो) ग 7 लोप----आगतः (आओ, आगओ) नियम ४३१ (लुग भाजन-दनुज-राजकुले जः सस्वरस्य न वा २२६७) भाजन, दनुज, राजकुल शब्दों के स्वर सहित ज का लोप विकल्प से होता है । ज7 लोप भाजनम् (भाणं, भायणं) । दनुजः (दणु, दणुअ)। राजकुलम् (राउलं, रायउलं)। नियम ४३२ (दुर्गादेव्युदुम्बर-पादपतन-पादपीठन्तर्दः ११२७०) दुर्गादेवी, उदुम्बर, पादपतन और पादपीठ शब्दों के मध्य में होने वाले सस्वर द का लुक् विकल्प से होता है। द/ लोप-पादपतनम् (पावडणं, पायवडणं) 47 लोप-पादपीठम् (पावीढं, पायवीरें) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002024
Book TitlePrakrit Vakyarachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1991
Total Pages622
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Grammar, & Literature
File Size20 MB
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