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________________ ५१ तमाचा, थप्पड - चविडा कटाक्ष -- काच्छि (स्त्री) मदिरा -- महरा, सुरा कीमती — महग्घ (वि) दुर्लभ, महंगा - महग्घविभ स्वच्छंदी - सच्छंदो (वि) अणोहयो (बि) घोट-पीना चक्ख - चखना, स्वाद लेना शब्द संग्रह (स्फुट ) जेल - तूस - संतुष्ट होना धुव्व — कंपना, हिलाना चंकम -- वार-बार चलना इधर उधर घूमना द्वित्व —कारा Jain Education International जुआखाना — टेंटा चिता -- चियगा प्रशंसनीय - - - सग्घ जूठा, उच्छिष्ट —- णवोद्धरणं (दे० ) व्यक्ति — वत्ति (स्त्री) (वि) धातु संग्रह चंप (दे० ) दबाना, चांपना चंप — चर्चा करना चंप - चढना जम्म- खाना जेम - जीमना चिण - इकट्ठा करना द्वित्व संयुक्त वर्णों को होने वाला आदेश या शेष रहा वर्ण द्वित्व होता है । द्वित्व होने वाला वर्ण वर्ग का दूसरा वर्ण हो तो पहला और चौथा वर्ण हो तो तीसरा हो जाता है । असंयुक्त वर्ण का शेष रहा वर्ण द्वित्व नहीं होता, उसकी यश्रुति हो जाती हैं । नियम ४२० ( अनादी शेषादेशयोद्वित्वम् २२८६) लोप होने के बाद शेष रहा वर्ण और आदेश किया हुआ वर्ण पद के आदि में न हो तो वह द्वित्व हो जाता है। शेष—- कल्पतरु: (कप्पतरू ) । भुक्तं ( भुत्तं ) । दुग्धम् (दुद्धं ) । नग्नः ( नग्गो) । उल्का ( उक्का) । मूर्ख : ( मुक्खो ) । आवेश – दष्टः (डक्को) । यक्षः ( जक्खो ) । रक्तः ( रग्गो) । कृत्तिः ( किच्ची ) । रुक्मी ( रुप्पी ) शेषवर्ण आदि में होने के कारण द्वित्व नहीं स्खलितम् (खलिअं) । स्थविर: (थेरो ) । स्तम्भः (खम्भो ) 1 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002024
Book TitlePrakrit Vakyarachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1991
Total Pages622
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Grammar, & Literature
File Size20 MB
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