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________________ ४६ सयुक्तवर्णों का लोप शब्द संग्रह (फल वर्ग २) पतीता-महुकक्कडी (सं) बेर-बोरं इमली-चिंचा, कुट्ठा आलुबुखारा--आरुयं (सं) खजूर-खज्जूरो बदाम--वायायो नेत्तोवमफलं अंगूर-दक्खा नारियल-~णारिएलो बिजोरा-माहुलिंगो नींब का फल-णिबोलिया फालसा-अप्पट्टि (सं) मौसंबी (मौसंबी)मौसंबी सुपारी-पोप्फलं अजीर-काउंबरी खुमानी-खुमाणी (सं) काजू-काजू अगो (सं) सिंघाडा-सिंघाडयो, सिंघाडगं पिस्ता-णिकायगो (सं) अखरोट---अक्खोडबीयं तालमखाना-कोइलक्खी (त्रि.) मुनक्का-गोत्थणी (सं) किसमिस-अबीया, ईसिबीया (सं) ग्रास--गासो गलना---गलणं व्याकरण-वागरणं स्वाद-साओ धातु संग्रह विअक्क-विमर्श करना गिज्झ-आसक्त होना विअक्ख-देखना गुंठ-धूसरित होना, धूलि के रंग गस-खाना, निगलना __ का होना गाअ-गाना गुण-गुनना, याद करना गाल---छानना गुड-हाथी के कवच आदि से सजाना गुड-नियंत्रण करना गुड-नियंत्रण करना , संयुक्तवर्णों का लोप संयुक्त व्यंजनों में पहले वर्ण को ऊर्ध्व और दूसरे को अधो कहते हैं । दूसरे शब्दों में पहले वर्ण को पूर्ववर्ती और दूसरे को उत्तरवर्ती भी कह सकते नियम ३६४ (क-ग-ट-उ-त-द-प-श-प-सकपा मूवं लु २७७) संयुक्त वर्गों में क, ग, ट, ड आदि ऊर्ध्व हों तो उनका लुक होता है। क- भुक्तं (भुत्तं) । मुक्तं (मुत्तं) । सिक्थं (सित्थं) । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002024
Book TitlePrakrit Vakyarachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1991
Total Pages622
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Grammar, & Literature
File Size20 MB
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