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________________ संयुक्त व्यंजन परिवर्तन ( ६ ) १७७ काइ चेअ जणा भुंजंति । अज्जत्ता गोहूमो किं सव्वसुलहो अत्थि ? मसूराण दाली भवइ । लट्टाधण्णं कत्थ उप्पज्जइ ? अलसीए तेल्लं जाअइ । कंगू तुडियत्थीण जुंजिउ समत्था अस्थि । राई वि धण्णाणं एगो भयो अत्थि । णीवारधणं णिद्धणा चिअ खाअंति । वंसजवो रुक्खो सीयलो य होइ । गवेधुआ रुट्टिआओ भक्खणेण मेओ चर्वी) अप्पो भवइ । अलसीए तेल्लं जाअइ । लट्टाए पत्ताण सागो पडिसाये रोगे लाभअरो होइ । धातु प्रयोग ( सो अक्कमूलं उप्फालेइ । तस्स पुत्तो उफिडतो गच्छइ । मालागारी उज्जाणं उप्फुसइ । तस्स कज्जं किमवि न सिज्झिसु । केवलं नयरे भमणेण सो किलेस | तुमं सयणत्तो तलायम्मि कुल्लीअ । अहं धम्मज्भाणेण कम्माई आमि । काओ कारणाओ तुमं कूडेसि ? पुत्तबहू ससुरं पासिऊण कूणइ । आयरिअस्स उवालंभेण सो खउरइ । अमुम्मि वरिसम्म अन्नस्स परेण सो खअरइ । प्राकृत में अनुवाद करो चावल बंगाल में अधिक पैदा होता है। चावल सफेद रंग का धान है उसके साथ अरहर की दाल का मेल करने से वायु कम बनती है । ६० वर्ष पहले मरुस्थल में गेहूं का फुलका केवल पुरुषों के लिए बनता था। मसूर बहुत कम लोग खाते हैं। सरसों का तेल निकाला जाता है । कुसुंभ के बीजों में तैल पाया जाता है । ज्वार शीतल, रूक्ष और पित्त को नष्ट करता है । कांगन ( कंगुनी ) बारह ही मासों में सब जगह मिलता है । कोंदो तृण जाति धन्य है । तीन तालाब या जलीय भूमि पर फैला हुआ मिलता है । बांस का बीज वातपित्तकारक, कफनाशक और मूत्ररोधक होता है । गरहेडुवा बंगाल में चावल के खेतों में होता है । बहिनें कढी में राई का संस्कार देती हैं । धातु का प्रयोग करो गाय घास को जड से नहीं उखाडती है । स्कूल के बच्चे मेंढक की तरह क्यों कूदते हैं ? राष्ट्रपति ( रट्ठवई) अपने बाग को प्रतिदिन स्वयं सींचता है । वह पैदल चलने से हैरान हो गया। जो अपनी प्रशंसा सुनकर संकुचित होता है वह महान् है । वह वृक्ष से कूदता है। उसने गलत बात कही इसलिए वह झूठा हो गया । वीतरागी के चार घनघाती कर्म नष्ट हो जाते हैं । पिशाच ( पिसायो ) का नाम सुनकर वह डर से विह्वल हो गया । इस वर्ष लोह के व्यापार ने व्यापारियों को धन से समृद्ध बना दिया । प्रश्न १. र्य को क्या आदेश होता है । प्रत्येक नियम का एक-एक उदाहरण दो । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002024
Book TitlePrakrit Vakyarachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1991
Total Pages622
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Grammar, & Literature
File Size20 MB
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