SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 171
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ४२ संयुक्त व्यंजन परिवर्तन ( १ ) शब्द संग्रह (शाक वर्ग १ ) करेला — कारेल्लयं, कारिल्ली (दे.) परवल -- पडोलो, पडोला बेंगन - वितागी, वायंगणं (दे.) खीरा, काकडी — कक्कडी मूली - मूलगं आलु - आलू (पुं, न ) पपीते का शाक-महुकक्कडीसागो चने का शाक -चणगसागो मक्का - मकाय सागो, महाकाय सागो (सं) आ (या) --- जाना आउछ — खींचना, जोतना आअक्ख- - कहना आअर (आदृ) आइ (आ दा ) लेना पालक-पालक्का अदरख -- सिंगबेरं प्याज - लंडू (पुं) लहसुन – लसुणं वत्थुआ - वत्थुलो लौकी— अलाउ -आदर करना Jain Education International केले का शाक केली ग्वारफली - गोराणी, दढ बीया, आइंच -- सींचना, छिडकना आयंव-कांपना, हिलना आयम - आचमन करना आयर- -आचरण करना आयल्ल - लटकना संयुक्त व्यंजन-संयुक्त व्यंजनों को होने वाले आदेश क, ख आदि क्रम से दिए जा रहे हैं । आदेश के बाद व्यंजन द्वित्व हो जाते हैं । क, ख, ग, घ, च आदेश वाया (बाकुचिया ) टमाटर - रत्तंगो (सं) धातु संग्रह नियम २६७ ( शक्त- मुक्त-वष्ट-रुग्ण मृदुत्वे को वा २१२ ) शक्त, मुक्त दष्ट, रुग्ण और मृदुत्व शब्द के संयुक्त को क आदेश विकल्प से होता है । क्त 7 क -- शक्तः (सक्को, सत्तो ) । मुक्त: ( मुक्को, मुत्तो ) । ग्ण 7 क --- - रुग्ण: ( लुक्को, लुग्गो) । स्व / क - मृदुत्वं (माउक्क, माउत्तणं ) । ष्ट 7 क — दष्ट: ( डक्को, दट्ठो) । नोट १ – सक्को और मुक्को ये दो शब्द नियम २१६ क -ग-च-ज-त-दप-य-वां प्रायो लुक् १।१७७ ) के अपवाद रूप हैं । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002024
Book TitlePrakrit Vakyarachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1991
Total Pages622
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Grammar, & Literature
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy