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________________ ३६ मध्यवर्ती सरल व्यंजन परिवर्तन (४) उद्यम-उज्जमो स्वभाव-सहावो पथ्य-पच्छ (वि) मर्यादा-मज्जाया संगति-संगो शब्द संग्रह (स्फुट) मनोरथ-मणोरहो स्वागत-सागयं राख-भस्सं क्षेत्र-खेत्तं, छेत्तं श्रवण-सवणं - --- - - - -- शिकारी---लुद्धगो शासक-सासओ। धातु संग्रह दरिस-दिखलाना, बतलाना ताड-ताडना करना दिक्ख - देखना संफुस-स्पर्श करना दम-निग्रह करना वच्च-जाना तस-त्रास पाना, डरना ताव-गर्म करना | नियम २६८ (विषमे मो ढो वा ११२४१) विषम शब्द के म को ढ विकल्प से होता है। म>ढ----विसढो, विसमो (विषमः) । नियम २६६ (वाभिमन्यौ १२४३) अभिमन्यु शब्द के म को व विकल्प से होता है। म>व-अहिवन्नू, अहिमन्नू (अभिमन्युः) । नियम २७० (भ्रमरे सो वा २२४४) भ्रमर शब्द के म को स विकल्प से होता है। म>स-भसलो, भमरो (भ्रमरः) । नियम २७१ (डाह-वौ कतिपये १२५०) कतिपय शब्द के य को हाह (आह) और व क्रमशः होता है। य>डाह-कइवाहं, कइअवं (कतिपयम्) । नियम २७२ (वोत्तरीयानीय-तीय-कृछज्जः १०२४८) उत्तरीय शब्द और अनीय, तीय तथा कृदन्त के य प्रत्यय का य हो उसको ज्ज विकल्प से होता है। यज्ज-उत्तरिज्ज, उत्तरीअं (उत्तरीयम् ) करणिज्ज, करणीअं (करणीयम् ) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002024
Book TitlePrakrit Vakyarachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1991
Total Pages622
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Grammar, & Literature
File Size20 MB
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