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________________ १३१ मध्यवर्ती सरल व्यंजन परिवर्तन (१) धातु प्रयोग ____बालो जणणीए हत्थं अणुकड्ढइ । आयरिओ सीसं अणुग्गइ जं अक्खरबोहं देइ । साहू लुक्कसाहुं अणुचरइ । लुक्का साहुणी परिचरण→ आयरियाण निवेअइ । सो पगे दुद्धं अणु गिलइ । बहिणीआ पण्डं पुच्छिउ गुरूण समीवं अच्छंति । तित्थअरस्स भासणं जणयं बंधइ । कुक्कुरो अपरिचियं जणं दळूण बुक्कइ । प्राकृत में अनुवाद करो शुद्ध वस्त्र को किसने मलिन किया ? कोरे वस्त्र का रंग कैसे बदलता है (परिअट्टइ) ? धोया वस्त्र रमेश को प्रिय लगता है । सूती वस्त्र शीतकाल में गर्म रहता है। साधु और साध्वी ऊनी वस्त्र रखते हैं। रेशमी वस्त्र सब लोगों के लिए सुलभ नहीं है। गांधीजी मोटा कपडा पहनते थे। स्त्रियां डंडी वस्त्र को रुचि से पहनती हैं । बंटेदार कौसुंभ वस्त्र कौन पहनना चाहता है ? बारीक वस्त्र से शरीर स्पष्ट दीखता है। धोया हुआ वस्त्र पहनने से आदमी का रूप अच्छा लगता है। मैं कोरा वस्त्र पहनना नहीं चाहता । तुम्हारी माता ने धोती (अहोवत्थं) में डंडी देकर पहनने योग्य बना दिया । तुम्हारी साडी कितने रुपयों की है ? माता घाघरा ही पहनना चाहती है। तुम्हारी चाची की चोली किसने धोयी है ? भाभी की ओढनी का रंग क्या है ? तुम्हारी बहन अण्डरवीयर पहनती है। लहंगे का मूल्य कितने रुपए हैं ? तुम यह पेटीकोट किसके लिए लाए हो ? धातु का प्रयोग करो __ ललिता कुंए से पानी खींचती है। वह द्रव पदार्थ को खाता है। गुरु ने शिष्य पर कृपा की और उसे निकट वंदना करने की आज्ञा दी। जो सेवा करता है वह बहुत बडा लाभ कमाता है (अर्जन करता है)। माता बच्चे का पोषण करती है । प्रतिक्रमण में वह बैठता है और उठता है । जो अशुभ कर्म बांधता है वह भोगकाल में परिताप करता है। सुशील छुट्टीपत्र लिखकर अध्यापक से प्रार्थना करता है कि मेरी छुट्टी स्वीकार करें। कुत्ता कुत्ते को देखकर भुंकता है। प्रश्न १. स्वर से परे मध्यवर्ती शब्द क, ग, त, द, प आदि व्यंजन हो तो किस स्थिति में उनका लोप होता है और किस स्थिति में नहीं ? तीन उदाहरण दो। २. प का लोप कहां होता है ? और कहां उसको व आदेश होता है ? ३. किस शब्द के अनादि वर्ण ख को ह होता है ? उदाहरण दो। ४. मध्यवर्ती व्यंजन असंयुक्त हो तो किस वर्ण को क्या आदेश होता है ? Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002024
Book TitlePrakrit Vakyarachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1991
Total Pages622
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Grammar, & Literature
File Size20 MB
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