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________________ ३५ प्रारम्भिक सरल व्यंजन परिवर्तन शब्द संग्रह (जलाशय वर्ग) समुद्र--- समुद्दो, सायरो नदी-नई तालाब-तडाओ, तलायो, सरं कुंआ-कूवो, अगडो, अवडो नहर-कुल्ला छोटा कुंआ----कूविया निर्झर---अवज्झरो, ओझरो छोटा प्रवाह-ओग्गलो प्याऊ-पवा पुष्करणी-पोक्खरिणी वावडी-वावी टंकी-जलसंगहालयो (सं) बांध-बंधो (सं) नल-णलं धातु संग्रह वह-बहना पमज्ज-साफ सुथरा करना अक्कोस----गाली देना पमा---सत्य-सत्य ज्ञान करना अक्खिव-फेंकना पत्थ-प्रार्थना करना आलिह-चित्र बनाना थक्क---थकना अच्चीकर-प्रशंसा करना खुशामद करना अणुकंप-दया करना प्रारंभिक सरल व्यंजन परिवर्तन ___ असंयुक्त व्यंजन या स्वर सहित व्यंजन को सरल व्यंजन कहते हैं । शब्द के आदि में होने वाले व्यंजनों में सामान्य रूप से न, य श और ष व्यंजनों में परिवर्तन होता है । कहीं-कहीं क और प व्यंजन में भी परिवर्तन मिलता है। विशेष व्यंजन (शब्द विशेष) में क को ग और च, ज को झ, त को च और ह, द को ड, ल को ण, व को भ, य को ल और त, श को छ परिवर्तन होता है। नियम १९४ (वादौ ११२२६) शब्द के आदि में होने वाले न को ण विकल्प से होता है। न7 ण -- णरो, नरो (नरः) णई, नई (नदी) णिसण्णो, निसण्णो (निषण्णः) णुमण्णो, नुमण्णो (निमग्नः) । नियम १९५ (भावेर्यो नः १२४५) शब्द के आदि में होने वाले य को ज हो जाता है। य>ज-जसो (यशस्) जई (यतिः) जमो (यमः) जाई (जातिः) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002024
Book TitlePrakrit Vakyarachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1991
Total Pages622
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Grammar, & Literature
File Size20 MB
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