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स्वरादोष (१०)
११७ धणंजयो वावारकुसलो अत्थि । वावारी वाणिज्जेण धणं अज्जइ । जस्स वावारिणो परियाणं सुद्धं भवे सो कित्ती धणं य लभइ । अज्जत्ता जणा परिव्वयं अहियं करेंति । विजयो वत्थूई कयट्ट दक्खो (दक्ष) अत्थि । रामगोवालो आसा विक्कयट्ठणयरं गओ । कम्मसालाइ केत्तिआ जणा कज्जं कुणंति । वत्थवावारिणो अल्लं देति । कलंतरे तुज्झ केत्तिला रुवगा संति । भारहे सुवण्णस्स आअओ भवइ । सो वाणिज्यो निउणो (निपुण) जो गाहगा रित्तहत्था न पेसइ (भेजता है) । अमुम्मि अट्ट यम्मि टंकण परियाणं भवइ । सागविक्कई अमुम्मि गामम्मि को अत्थि ? भारहवासत्तो केसिं वत्थूण णिज्जायो भवइ । धातु प्रयोग
. तुज्झवयणं सुणिऊणं सो खिज्जइ । अज्ज कि मेहो वरसइ ? वीयराओ संसारसायरं तरिहिइ । एसो सप्पो कि जीवइ ? संसारी पाणी पइक्खणं (प्रतिक्षण) मरइ। पंचवरिसो केलासो कहं रुवइ ? सप्पो सणि सरइ । सो साहू णियमं जाणिऊण कहं अइइ ? सो रत्तिदिवहं धणं अज्जइ । किं सुरेसो धणेण पइ8 (प्रतिष्ठा) पाउणइ ? प्राकृत में प्रयोग करो
इस शहर के मुख्य बाजार में सब प्रकार की वस्तुएं मिलती हैं। व्यापार से धन बढता है । मेरा भाई कपडा खरीदने शहर में गया है। तुम कपडा बेचने यहां से कब जाओगे ? उसके तीन दुकाने हैं । बनिया लोग प्रायः व्यापार करते थे। सब जाति के लोग व्यापारी हो सकते हैं। उसके पास खर्च करने का धन नहीं है । तुम सौ रुपये का कितना ब्याज लेते हो ? भारत बंदरों का (वाणरा) निर्यात करता है। व्यापारी सोने का आयात करते हैं। तुम आज कर्ज से मुक्त (मुत्त) हो जाओगे। जो दूसरों से ऋण लेता है उसे व्याज देना होता है । मेरे पास नगद रुपया नहीं है। क्या तुम कारखाने में काम करना चाहते हो ? आज घी बेचने वाला कहां गया है ? धातु का प्रयोग करो
वह वाद-विवाद से खिन्न हो जाता है। आज दूध की वर्षा हुई है। वह अपने विचारों से थोडा भी नहीं सरकता है । जो मरता है वह वापस नहीं आता है। जो तैरता है वह पार जाता है। माता पुत्र की मृत्यु पर रोती है। जो प्रामाणिक होता है वह नियम का उल्लंघन नहीं करता। वह यश कमाता है । नीलम पुत्र को प्राप्त करती है।
प्रश्न
१. ल, ए और ऐ को क्या-क्या स्वर नित्य आदेश होते हैं ? एक-एक
उदाहरण दो।
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