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________________ स्वरादेश (१०) शब्द संग्रह (व्यापार वर्ग) बाजार-विवणि (पु. स्त्री) वणिअमग्गो ग्राहक–गाहगो दुकान—आवणो, हट्टो, अट्टयो खरीदना—कयो व्यापार–ववहारो, वावारो, वाणिज्ज बेचना-विक्कओ व्यापारी-वावारी (पुं) नगद-टंको लेनदेन-परियाणं बेचनेवाला—विक्कइ (वि) खर्चा-परिव्वयो धन-धणं आयात-आअअ (वि) निर्यात-णिज्जायो ऋण-उल्लं वस्तु-वत्थु कारखाना-कम्मसाला रुपया-रूवगो, रूवगं व्याज-कलंतरं आफिस-कज्जालयो धातु संग्रह खिज्ज-खिन्न होना तर—तैरना वरिस--वरसना रुव-रोना सर-सरकना अइ---उल्लंघन करना मर-मरना पाउण-प्राप्त करना अज्ज-अर्जन करना स्वरादेश ल को इलि आदेश । ए को इ, ऊ आदेश । ऐ को ए, इ, अइ, अअ, ई आदेश नियम १७४ (लत इलिः क्लुप्त-पलन्ने १।१४५) क्लृप्त, क्लुन्न शब्दों के लु को इलि आदेश होता है। ल 7 इलि-किलित्त (क्लृप्तः) किलिन्न (क्लन्नः) नियम १७५ (एत इद् वा वेदना-चपेटा-देवर-केसरे १३१४६) वेदना, चपे टा, देवर और केसर शब्दों के ए को इ विकल्प से होता है। ए78-विअणा, वेअणा (वेदना) चविडा, चवेडा (चपेटा) दिअरो, देवरो (देवरः) किसरं, केसरं (केसरम्) नियम १७६ ( स्तेने वा १११४७) स्तेन शब्द के ए को ऊ विकल्प से होता है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002024
Book TitlePrakrit Vakyarachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1991
Total Pages622
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Grammar, & Literature
File Size20 MB
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