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________________ ११० प्राकृत वाक्यरचना बोध आती है, कौन याद कर रहा है ? खुजली में खट्टे पदार्थ मत खाओ। वह यहां क्यों थूकता है ? शीतकाल में कफ अधिक आता है। उसने दही खाया है, इसलिए खांसता है । पसीने के द्वारा शरीर का विकार बाहर निकलता है । अधोवायु निकलने से मन शांत होता है। तीर्थकरों के उच्छ्वास में सुगंध आती है। कल उसको उच्छ्वास आया पर निःश्वास नहीं आया। प्रतिदिन जीभ का मैल हाथ से साफ करो। तुम बार-बार नाक का मैल निकालते हो । कान का मैल समय पर नहीं मिलता है। आंख का मैल सफेद रंग (सित) का होता है। दांत का मैल उपवास से बढ़ता है। पानी से शरीर का मैल उतरता है । मल का बाहर आना स्वास्थ्य का लक्षण है । वह पानी कम पीता है, इसलिए मूत्र पूरा नहीं आता । दुःख की बात में उसके आंसु पडने लगे। धातु का प्रयोग करो गाय घास को चबाती है। जिस समय मनुष्य धर्म का आचरण करता है वह समय उसका मूल्यवान् है। साधु को कच्चे फल लेना कल्पता (उचित) नहीं है। आचार्य शिष्य को कच्चे फल के स्पर्श का निषेध (वर्जन) करते हैं। जो बिना विचारे काम करता है, वह पीछे अनुताप करता है । बिना प्रयोजन वह क्यों जलता है ? वह धनवान बनने के लिए प्रयत्न करता है। प्रचुर धन को छोडकर नीलेश संन्यास लेता है । तुम अविवेकी गुरु को क्यों नहीं छोडते हो ? जो कर्म को पतला करता है वह बंधन से मुक्त होता है। . अव्यय का प्रयोग करो कल मेरा भाई यहां आएगा। परसों तुम्हारा भाग्योदय होने वाला है । आचार्य ने कल क्या घोषणा की थी ? प्रश्न १. ऋकार को क्या-क्या आदेश हुए हैं ? एक-एक उदाहरण दो। २. गिण्ठी, पिच्छी, माउक्कं, तिप्पं, विञ्चुओ, पिट्ठी, सिंगं, निव्वुअं, पहुडि, घट्ठो, छिहा---इन शब्दों को नियम का उल्लेखपूर्वक्र सिद्ध करो। ३. छींक, डकार, जंभाई, हिचकी, खुजली, थूक, कफ, पसीना, शरीर का मैल, आंसू, खांसी, अधोवायु, चक्कर, उच्छ्वास, निःश्वास, जीभ का मैल, नाक का मैल, कान का मैल, आंख का मैल और दांत का मैल-- इन शब्दों के प्राकृत शब्द बताओ। ४. समायर, कप्प, संजल, वज्ज, अणुतप्प, पयय, अभिनिक्खम, वच्छ, परिहर और चर धातु को एक-एक वाक्य में प्रयोग करो। ५. आजकल (बीता हुआ) कल (आगामी) और परसों के अर्थ में कौन कौन अव्यय हैं ? एक-एक वाक्य में प्रयोग करो। Jain Education Internationali For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002024
Book TitlePrakrit Vakyarachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1991
Total Pages622
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Grammar, & Literature
File Size20 MB
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