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प्राकृत वाक्यरचना बोध
ऋ7आ-कासा, किसा (कृशा) माउक्कं, मउअं (मृदुकम्) माउक्कं,
___ मउत्तणं (मृदुत्वम्)
नियम १५७ (इत्कृपावौ १।१२८) कृपा आदि शब्दों के ऋ को इ होता है। ऋ71-किवा (कृपा) हिययं (हृदयम् ) रस अर्थ में मिट्ठ (मष्टम् )
दिट्ठं (दृष्टम् ) दिट्ठी (दृष्टिः) सिढें (सृष्टम् ) सिट्ठी (सृष्टि:) गिण्ठी (गृष्टि:) पिच्छी (पृथ्वी) भिऊ (भृगुः) भिंगो (भृङ गः) भिङ्गारो (भृङ गारः) सिङ्गारो (शृङ्गारः) सिआलो (शृगालः) घिणा (घणा) घुसिणं (घुसृणम्) विद्धकई (वृद्धकविः) समिद्धी (समृद्धिः) इद्धी (ऋद्धिः) गिद्धी (गृद्धिः) किसो (कृशः) किसाणू (कृशानुः) किसरा (कृसरा) किच्छं (कृच्छम् ) तिप्पं (तप्तम् ) किसिओ (कृषितः) निवो (नृपः) किच्चा (कृत्या) किई (कृतिः) धिई (धृतिः) किवो (कृपः) किविणो (कृपणः) किवाणं (कृपाणम् ) । विञ्चुओ (वृश्चिक:) वित्तं (वृत्तम् ) वित्ती (वृत्तिः) हिअं (हृतम्) वाहित्तं (व्याहृतम्) बिहिओ (बंहितः) विसी (वृषी) इसी (ऋषिः) विइण्हो (वितृष्णः) छिहा (स्पृहा) सइ (सकृत्) उक्किट्ठ (उत्कृष्टम्) निसंसो (नृशंसः) १. नोट-कगटडतदपशषस कपामूलुक् २७७ का अपवाद है।
नियम १५८ (पृष्ठे वानुत्तरपवे १३१२६) पृष्ठ शब्द उत्तर पद में न हो तो उसके ऋ को इ विकल्प से होता है ।
ऋ7 अ.-पिट्ठी, पट्टी (पृष्ठम् ) । पिट्ठिपरिट्ठविरं
नियम १५६ (मसृण-मगाङ क-मत्यु-शृङ ग-धष्टे वा १११३०) मसृण, मृगाङ्क, मृत्यु, शृङ्ग और धृष्ट शब्दों के ऋकार को इकार विकल्प से होता है । ऋ7इ-मसिणं, मसणं (मसणम्) मिअङ्को, मयङ्को (मगाङ कः) मिच्चु,
मच्चु (मृत्युः) सिंगं, संगं (शृङ गम्) धिट्ठो, धट्ठो (धृष्टः)
नियम १६० (उदृत्वादौ १११३१) ऋतु आदि शब्दों के आदि ऋ को उ होता है। 7उ--उऊ (ऋतुः) परामुट्ठो (परामृष्टः) पुट्ठो (स्पृष्टः)
पउट्ठो (प्रवृष्ट:) पुहई (पृथिवी) पउत्ती (प्रवृत्तिः) पाउसो (प्रावृट) पाउओ (प्रावृतः) भुई (भृतिः ) । पहुडि (प्रभृतिः) पाहुडं (प्राभृतम्) परहुओ (परभृतः)
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