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________________ ३१ स्वरादेश (८) शब्द संग्रह (शरीर विकार) छींक-छी दांत का मैल-पिप्पिया (दे०) जंभाई-जिभा, जिभिआ । आंख का मैल दूसिआ खुजली-खज्जू (स्त्री) शरीर का मैल-जल्लं (दे०) पसीना-सेओ, घम्मो डकार-आझमाणं, उड्डुओ चक्कर--भमली हिचकी-हिक्का, मुट्ठिक्का उच्छ्वास--ऊससि थूक-थुक्को मल-गृहं, मलं खांसी-खासिअं, कासितं आंसू-अंसुं (न) अधोवायु (पादना)-वायणिसग्गो नाक का मैल-सिंघाणं निःश्वास--नीससि कान का मैल-किट्टं मूत्र-मुत्तं जीभ का मैल-कुलुअं (सं) श्लेष्म-खेलो धातु संग्रह समायर-आचरण करना कप्प-उचित होना वज्ज-वर्जन करना चर-चबाना संजल-जलना, आक्रोश करना अणुतप्प-अनुताप करना पयय-प्रयत्न करना तच्छ-छीलना, पतला करना परिहर---छोडना अभिनिक्खम-संन्यास लेना, सदा के लिए घर से निकलना अव्यय संग्रह सुवे (श्वस्) आगामी काल , परसुवे (परश्वः) परसों व्हो (ह्यस्) बीता हुआ कल उत्तरसुवे (उत्तरश्वः) परसों ऋकार को अ, आ, इ, उ आदेश ह, नियम १५५ (ऋतोत् १११२६) आदि (पहले) ऋकार को अकार होता है। ऋ7 अ-धयं (घृतम्) कयं (कृतम् ) मओ (मृगः) तणं (तृणम्) वसहो (वृषभः) घट्ठो (घृष्टः) । नियम १५६ (आत् कृशा-मृदुक-मृदुत्वे १।१।१२७) कृशा, मृदुक और मृदुत्व के ऋ को आ विकल्प से होता है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002024
Book TitlePrakrit Vakyarachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1991
Total Pages622
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Grammar, & Literature
File Size20 MB
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