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स्वरादेश (८)
शब्द संग्रह (शरीर विकार) छींक-छी
दांत का मैल-पिप्पिया (दे०) जंभाई-जिभा, जिभिआ । आंख का मैल दूसिआ खुजली-खज्जू (स्त्री)
शरीर का मैल-जल्लं (दे०) पसीना-सेओ, घम्मो
डकार-आझमाणं, उड्डुओ चक्कर--भमली
हिचकी-हिक्का, मुट्ठिक्का उच्छ्वास--ऊससि
थूक-थुक्को मल-गृहं, मलं
खांसी-खासिअं, कासितं आंसू-अंसुं (न)
अधोवायु (पादना)-वायणिसग्गो नाक का मैल-सिंघाणं
निःश्वास--नीससि कान का मैल-किट्टं
मूत्र-मुत्तं जीभ का मैल-कुलुअं (सं) श्लेष्म-खेलो
धातु संग्रह समायर-आचरण करना
कप्प-उचित होना वज्ज-वर्जन करना
चर-चबाना संजल-जलना, आक्रोश करना अणुतप्प-अनुताप करना पयय-प्रयत्न करना
तच्छ-छीलना, पतला करना परिहर---छोडना
अभिनिक्खम-संन्यास लेना,
सदा के लिए घर से निकलना
अव्यय संग्रह सुवे (श्वस्) आगामी काल , परसुवे (परश्वः) परसों
व्हो (ह्यस्) बीता हुआ कल उत्तरसुवे (उत्तरश्वः) परसों ऋकार को अ, आ, इ, उ आदेश ह, नियम १५५ (ऋतोत् १११२६) आदि (पहले) ऋकार को अकार होता है। ऋ7 अ-धयं (घृतम्) कयं (कृतम् ) मओ (मृगः)
तणं (तृणम्) वसहो (वृषभः) घट्ठो (घृष्टः) ।
नियम १५६ (आत् कृशा-मृदुक-मृदुत्वे १।१।१२७) कृशा, मृदुक और मृदुत्व के ऋ को आ विकल्प से होता है।
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