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________________ प्राकृत वाक्यरचना बोध नियम १४६ ( ई र्वोद्व्यूढ १1१२० ) उद्व्यूढ शब्द के ऊकार को ईकार विकल्प से होता है । ऊ 7 ई -- उब्वीढं, उब्वूढं ( उद्व्यूढम् ) । नियम १५० ( उ और वातूल शब्दों के ऊकार को उकार होता है । क 7 उ — भुमया (भ्रूः ) । हणुमंतो वाउलो ( वातूल: ) । नियम १५१ ( मधूके वा १।१२२) मधूक शब्द के ऊकार को उकार विकल्प से होता है । 7- महुअं, महूअं ( मधूकम् ) । १०४ हनुमत्कण्डूय-वातूले १।१२१) भ्रू, हनूमत्, कण्डूय ( हनूमत् ) । कण्डुअइ ( कण्डूयति ) । नियम १५२ ( इवेतौ नूपुरे वा १।१२३) नूपुर शब्द के ऊंकार को इकार और एकार विकल्प से होता है । ऊ / इ, ए – निउरं, नेउरं नूअरं ( नूपुरम् ) । नियम १५३ (ओत्कूष्माण्डी- तूणीर-कूर्पर-स्थूल- ताम्बूल-गुडूची मूल्ये १११२४) कूष्माण्डी, तूणीर, कूर्पर, स्थूल, ताम्बूल, गुडूची और मूल्य शब्दों के ऊकार को ओकार होता है । ऊ 7 ओ – कोहण्डी, कोहली ( कूष्माण्डी ) । तोणीरं ( तूणीरम् ) । कोप्परं ( कूर्परम् ) थोरं ( स्थूलम् ) । तम्बोलं ( ताम्बूलम् ) । गलोई ( गुडूची) | मोल्लं ( मूल्यम् ) । नियम १५४ ( स्थूणा तूणे वा १११२५) स्थूण और तूण शब्द के ऊकार को भो विकल्प से होता है । ऊ 7 ओ - थोणा, थूणा (स्थूणा ) तोणं, तूणं ( तूणम् ) प्रयोग वाक्य antarasty थी गtयं गाअन्ति । दारस्स कवाडं उग्घाडियं अत्थि । सो निसाए छायणे सुवइ । देहलीइ उववेसणं सुहं नत्थि । खडक्कीअ सीयलो वातो आयाइ । घरस्स केत्तिलाई दाराई संति । वरंडियाए बालो खेलइ । नागदंते भाउज्जाई साडी अत्थि । भित्तीए अक्खराणि मा लिहह । मूसाए सारमेयो आयाइ । गिम्हकाले अम्हे पडोहरम्मि सुवामु । सीयकाले उवसालम्मि पंचजणा सोअंति । अट्टम्मि कवोओ चिट्ठइ । अलीपट्टम्मि कस्स वत्थाई संति ? घरकुडी पिआमहो वेसइ । Jain Education International धातु प्रयोग साहुणो सव्वाइं वत्थाइं जायंति । ते मोरउल्ला पवयंति । उवज्झायो पिवणं अक्खाइ । सो अप्पसन्नो भूय पए पए तं अवमन्तइ । किं तुमं For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002024
Book TitlePrakrit Vakyarachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1991
Total Pages622
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Grammar, & Literature
File Size20 MB
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