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________________ १०० प्राकृत वाक्यरचना बोध उ7 अ-अरिं, उवरिं (उपरि)। नियम १३८ (गुरौं के वा १११०६) गुरुशब्द से स्वार्थ में क करने पर आदि उ को अ विकल्प से होता है । उ74–गरुओ, गुरुओ (गुरुकः) नियम १३६ (ई भ्रुकुटौ ११११०) भ्रुकुटिशब्द के आदि उ को इ होता है । भिउडी (भृकुटि) नियम १४० (पुरुष रोः १११११) पुरुष शब्द के रु के उ को इ होता उ7इ--पुरिसो (पुरुषः) ___नियम १४१ (ईः क्षुते ११११२) क्षुतशब्द के उकार को ईकार होता है। उ7इ-छीअं (क्षुतम्) नियम १४२ (अनुत्साहोत्सन्ने सच्छे १२११४) उत्साह और उत्सन्न को छोडकर जिस शब्द में त्स और च्छ हों उसके आदि उ को ऊ होता है । उ7ऊ-ऊसुओ (उत्सुकः) ऊसवो (उत्सवः) ऊसित्तो (उत्सिक्तः) ऊसरइ (उत्सरति) ऊसुओ (उत्सुकः) ऊससइ (उच्छ्वसिति) नियम १४३ (ऊत्सुभगमुसले वा ११११३) सुभग और मुसल शब्द के उकार को ऊकार विकल्प से होता है। उ73-सूहवो, सुहओ (सुभगः) मूसलं, मुसलं (मुसलम्) नियम १४४ (लुकि दुरो वा ११११५) दुर् उपसर्ग के र का लोप होने पर उकार को ऊकार विकल्प से होता है। उ7ऊ-दूसहो, दुसहो (दुःसहः) दूहवो, दुहवो (दुर्भगः) नियम १४५ (ओत्संयोगे ११११६) संयोग आगे होने पर पूर्व के उकार को ओकार हो जाता है । उ7 ओ-तोण्डं (तुण्डम्) पोत्थओ (पुस्तक:) मोण्डं (मुण्डम्) लोद्धओ (लुब्धकः) पोक्खरं (पुष्करम्) मोत्था (मुस्ता) कोट्टिमं (कुट्टिमम्) मोग्गरो (मुद्गरः) कोण्ढो (कुण्ठः) पोग्गलं (पुद्गलम्) कोन्तो (कुन्तः) वोक्कन्तं (व्युत्क्रान्तम् ) नियम १४६ (कुतूहले वा ह्रस्वश्च ११११७) कुतूहल शब्द के उकार को ओकार विकल्प से होता है । उसके योग में ह्रस्व विकल्प से होगा। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002024
Book TitlePrakrit Vakyarachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1991
Total Pages622
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Grammar, & Literature
File Size20 MB
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