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________________ प्राकृत वाक्यरचना बोध पंचसयसिलोगा सरसि ? अणिलो अणेगहुत्तं पत्तं भज्जइ । साहुणी पत्ताइ सम्म लिप्पइ । सा कहं आयरियं पडिक लइ ? मज्झ पासे सो पढिउपइदिणं उवेइ । तित्थअरस्स जम्मदिवसे सव्वे पाणा पमुच्चिहिति । कोलसोअरियो पइदिणं पंचसयमहिसा हिंसइ। अव्यय प्रयोग __ नमो सिद्धाणं । सुसमाहियिंदियाणं इहेव मोक्खो। तेणं कालेणं तुज्झ जंपगं सुठ्ठ आसि । तुमए एअं कज्ज न काअव्वं । पक्खिणो उड्डिति तेण तत्थ तडागं अत्थि । तडागं जेण पक्खिणो उड्डुिति । भमररुअं जेण कमलवणं । कमलवणं तेण भमररुअं। प्राकृत में अनुवाद करो ... घडे का ठंडा पानी ग्रीष्म ऋतु में गर्मी मिटाता है। वह लोटा लेकर शौच के लिए गांव के बाहर जाता है। गिलास पानी पीने के लिए होती है। साधु तुम्बीपात्र में पानी लाते हैं। कुलडी में किसका साग है ? मटके में कितना पानी है ? झारी सोहन के पास नहीं है। कुंडी का पानी पक्षी पीते हैं । तुम्हारे पास सकोरे कितने हैं ? काच की गिलास में पानी किसने रखा है ? दही रखने का मिट्टी का पात्र तुम भी लाओ। तांबे का घडा किसके पास से लाए हो ? आजकल मशक का पानी लोग पीना नहीं चाहते । धातु का प्रयोग करो भारत की विजय सुन वह उछलने लगा। गर्मी में पदयात्रा से वह खिन्न हो जाता है । साधु प्रत्येक कार्य संयम से करता है । मैं प्रतिदिन तुम्हारा स्मरण करता हूं। अर्जुनमाली प्रतिदिन सात व्यक्तियों को मारता था । शैक्ष साधु ने अपने पात्र को तोड दिया। वह सरकार से प्रतिकूल आचरण करता है । आज दस कैदी मुक्त हुए। वह प्रतिदिन पात्र के लेप करता है । संभव है कुछ दिनों में उत्तीर्ण हो जाए । बच्चा अपनी माता के पास जाता है। अव्यय का प्रयोग करो __लोक के सब साधुओं को नमस्कार है । उसके प्रश्न के लिए तुम्हारा उत्तर ठीक था । तुम आज यहीं ठहरो क्योंकि तुम्हारा भाई आने वाला है। इस प्रकार का व्यवहार तुम्हें शोभा नहीं देता। भ्रमर की आवाज है इसलिए कमल वन है । कमलवन है इसलिए भ्रमर की आवाज है। प्रश्न १. अ को इस पाठ में क्या आदेश हुए हैं। दोनों पाठों में अ को क्या क्या आदेश हुए हैं। प्रत्येक आदेश के एक-एक शब्द बताओ? Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002024
Book TitlePrakrit Vakyarachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1991
Total Pages622
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Grammar, & Literature
File Size20 MB
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