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________________ स्याद्वाद : एक चिन्तन 185 दूसरे यह कहना कि परचतुष्टय की अपेक्षा से घट नहीं है या पट की अपेक्षा घट नहीं है भाषा की दृष्टि से थोड़ा भ्रान्तिजनक अवश्य है क्योंकि परचतुष्टय वस्तु की सत्ता का निषेधक नहीं हो सकता है । वस्तु में परचतुष्टय अर्थात् स्व-भिन्न पर द्रव्य, क्षेत्र, काल, भाव का अभाव तो होता है किन्तु उनकी अपेक्षा वस्तु का अभाव नहीं होता है । यह कहना कि "कुर्सी" की अपेक्षा टेबल नहीं है या पीतल की अपेक्षा यह घड़ा नहीं है, क्या भाषा के अभ्रान्त प्रयोग हैं ? इस कयन में जैनाचार्यों का आशय तो यही है कि टेबल कुर्सी नहीं है या घड़ा पीतल का नहीं है । अत: परचतुष्टय की अपेक्षा से वस्तु नहीं है, यह कहने की अपेक्षा यह कहना कि वस्तु में परचतुष्टय का अभाव है, भाषा का सम्यक् प्रयोग होगा । विद्वानों से मेरी विनती है कि वे सप्तभंगी के विशेष रूप से द्वितीय एवं तृतीय भंग के भाषा के स्वरूप पर और स्वयं उनके आकारिक स्वरूप पर पुनर्विचार करें और आधुनिक तर्कशास्त्र सन्दर्भ में उसे पुनर्गठित करें तो जैन न्याय क्षेत्र में इस शताद्वि वर्ष की एक बड़ी उपलब्धि होगी क्योंकि द्वितीय एवं तृतीय भंगों की कथन विधि के विविध रूप परिलक्षित होते हैं । अतः यहां द्वितीय भंग के विविध स्वरूपों पर थोड़ा विचार कर लेना अप्रासंगिक नहीं होगा । मेरी दृष्टि में द्वितीय भंग के निम्न चार रूप हो सकते हैं :. सांकेतिक रूप उदाहरण (१) अ उ वि है (१) प्रथम भंग में जिस धर्म (विधेय) का अ२०उवि नहीं है विधान किया गया है, अपेक्षा बदलकर द्वितीय भंग में उस धर्म (विधेय) का निषेध कर देना । जैसे - द्रव्य दृष्टि से घड़ा नित्य है पर्याय दृष्टि से घड़ा नित्य नहीं है । (२) अ उ वि है। (२) प्रथम भंग में जिस धर्म का विधान किया अ२०उ - वि है। गया है, अपेक्षा बदलकर द्वितीय भंग में उसके विरुद्ध धर्म का प्रतिपादन कर देना है। जैसे - द्रव्य दृष्टि से घड़ा नित्य है पर्याय दृष्टि से घड़ा अनित्य है । (३) अ उवि है। (३) प्रथम भंग में प्रतिपादित धर्म को पुष्ट अ२० उ~वि नहीं है। करने हेतु उसी अपेक्षा से द्वितीय भंग में उसके विरुद्ध धर्म या भिन्न धर्म का वस्तु में निषेध कर देना।
SR No.002008
Book TitleStudies in Jainism
Original Sutra AuthorN/A
AuthorM P Marathe, Meena A Kelkar, P P Gokhle
PublisherIndian Philosophical Quarterly Publication Puna
Publication Year1984
Total Pages284
LanguageEnglish
ClassificationBook_English, Philosophy, & Religion
File Size16 MB
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