SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 218
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जैनों की सैद्धांतिक धारणाओं में क्रम-परिवर्तन १९३ २. स्थानांग १०.१०२ भगवती, मूलाचार ४ उत्तराध्ययन, २६.१.७ २५.७, आ. नियुक्ति (सामान्य सामाचार) इच्छा इच्छाकार आवश्यकी मिथ्या मिथ्याकार नैषेधिकी तथाकार तथाकार आपृच्छना आवश्यकी आसिका प्रतिपृच्छना नैषैधिकी निषेधिका छंदना आपृच्छा आपृच्छा इच्छाकार प्रतिपृच्छा प्रतिपृच्छा मिथ्याकार ०८. छंदना छंदन तथाकार निमंत्रणा सनिमंत्रणा अभ्युत्थान उपसंपदा उपसंपद् उपसंपदा यह स्पष्ट है कि उत्तराध्ययन में इन सामाचारियों का क्रम अन्य ग्रंथों के क्रम से भिन्न है । नौवें नाम में भी अन्तर है । तथापि वृत्तिकारों के अनुसार, अर्थभेद समाधेय है । ऐसा माना जाता है कि यह ग्रन्थ अन्य ग्रन्थों से प्राचीन है । फलतः इनमें भी एक ही क्रम होना चाहिये था । उत्तराध्ययन की परम्परा के ग्रन्थ तत्कालीन भारत के एक ही क्षेत्र में रचे गये हैं । तब यह क्रम भिन्नता कब और कैसे आई ? दिगम्बर परम्परा ने भी स्थानांग का ही अनुकरण किया लगता है ? इससे क्या यह अनुमान लगाया जाय कि भगवती आदि के भाषारूपकारों को उत्तराध्ययन के विषय में जानकारी नहीं थी ? इन क्रम-भिन्नताओं के कारण जिनवाणी की परस्पर अविरोधिता की धारणा भी विचारणीय हो जाती है । १८. प्रत्याख्यान के प्रकार जैन आचार विधि में भौतिक आहार और उपाधि एवं भावनात्मक कषायादि बंधनों के क्रमश: या पूर्णतः त्याग आध्यात्मिक प्रगति के लिये महत्त्वपूर्ण हैं । इसका उद्देश्य अनागत दोषों का परिहार, व्रतों का निर्दोष पालन एवं भावशुद्धि है। भौतिक प्रत्याख्यान के माध्यम से भावनात्मक शुद्धि होती है । अत: इसका वर्णन अनेक ग्रंथों-भगवती ७.२. स्थानांग १०.१०१ आवश्यक नियुक्ति ६ एवं मूलाचार ६३९.४० आदि में किया गया है । इसके दस प्रकार निर्दिष्ट हैं जो निम्न प्रकार भगवती ७.२ स्थानांग १०.१०१ मूलाचार ०१. ०२. अनागत अतिक्रांत अनागत अतिक्रांत अनागत अतिक्रांत Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001982
Book TitleContribution of Jainas to Sanskrit and Prakrit Literature
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVasantkumar Bhatt, Jitendra B Shah, Dinanath Sharma
PublisherKasturbhai Lalbhai Smarak Nidhi Ahmedabad
Publication Year2008
Total Pages352
LanguageEnglish, Hindi
ClassificationBook_English & Articles
File Size22 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy