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________________ मण्डप्या निवास जैन यतिवेश धारण [१३७ बहुत कुछ घूम भाये चलो सारे दिन के भूखे होंगे, मुंह धो लो और रोटी तैयार है खालो, फिर शांति से सब बातें करेंगे तुम किसी भी प्रकार की चिन्ता मत करो और अपने बड़े भाई के घर में आ गये हो ऐसा समझो। फिर उन्होंने सेवकजी को भी अच्छे मीठे शब्दों से बुलाया और बोले कि सेवक जी महाराज मालूम देता है कोई रहस्य भरी विद्या सीख पाये हो। उज्जैन में चौंसठ योगिनियों के तथा हर सिद्धि माता जी की अच्छी आराधना की मालूम देती है. हमको भी उसकी कुछ प्रसादी देना चाहिये इत्यादि हंसी मस्करी की बातें करते हुए हम तीनों ही साथ भोजन करने बैठे। उनके पिताजी कहीं पास के गांव में कुछ लेन देन का हिसाब करने गये थे जो संध्या काल को कुछ देर से पहुंचे हम काफ़ी थके हुए थे इसलिए मकान के पास वाले कमरे में जाकर सुख से सो गये । ___मंडप्या एक छोटा सा गांव है । बानेण से सात आठ मील की दूरी पर है। मैं बानेण से वहां पर तीन चार दफ़े गया था इसलिए गांव से मैं परिचित था । आस पास में कुछ दूरी पर छोटी-बड़ी पहाड़ियां भी हैं । उस गांव में यति ज्ञानचन्द जी की कुछ खेती-बाड़ी थी। मैं जब उज्जैन से वहाँ पहुँचा तब मक्का की फसल तैयार हो गयी थी। शरद् पूर्णिमा की रात को मक्का काटने का प्रारम्भ होना था। सुबह जब हम उठे तो हाथ मुंह धोने की दृष्टि से ज्ञानचन्द जी के खेत पर चले गये। वहीं पर कुएं में से पानी निकालकर दातुन आदि किया। स्नान भी किया। ज्ञानचन्द जी ने मेरे पहनने के लिए एक मामूली लट्ठे की धोती और नया कुर्ता भी दिया। वहीं खेत पर बैठे २ सेवकजी के साथ भी बात-चीत होती रही, सेवकजी बोले कि मैं आज बानेण जाना चाहता हूँ। धनचन्द जी मुझसे तुम्हारे विषय में पूछेगे तो मैं उनसे क्या कहूँ। मेरी तरफ से ज्ञानचन्द जी ने कहा कि किसन लाल कहीं साधु-संतों के साथ यात्रा करने चला गया था, सो मुझे यह उज्जैन में मिल गया फिर मेरे कुछ कहने से यह अभी मंडप्या में ज्ञानचन्द जी के पास आकर रहा है और इसकी इच्छा ज्ञानचन्द जी के पास Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001967
Book TitleJinvijay Jivan Katha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherMahatma Gandhi Smruti Mandir Bhilwada
Publication Year1971
Total Pages224
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Biography
File Size11 MB
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