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जिनविजय जीवन-कथा खाखी बाबा ने मेरी तरफ ध्यान पूर्वक देखा और फिर सेवक जी से पूछा- “यह बच्चा कौन है ?" ___जवाब में सेवक जी बोले कि बानेण गांव में कुछ समय पहले एक बहुत वृद्ध जैन यति कहीं बाहर से आये थे उनके साथ यह लड़का भी आया । यतिजी का स्वर्गवास हो जाने पर बानेण में जो एक यति रहते हैं, उनके पास यह लड़का रहता है । लड़का अच्छा बुद्धिमान है और इसकी विद्या पढ़ने की बड़ी इच्छा है । मैं इस मेले पर यहां आया तो इसको भी यह तीर्थ दिखाने साथ ले आया हूँ। लड़का कहीं रह कर विद्या पढ़ना चाहता है । आप जैसों की कुछ कृपा हो जाय तो इसका मनोरथ सफल हो सकता है।
सेवक जी की यह बात सुनकर न जाने उन खाखी बाबा के मन में क्या भाव पैदा हुए ? उन्होंने अपने हाथ के इशारे से मुझे अपने नजदीक बुलाया और मेरे चेहरे के सामने कुछ तीक्ष्ण नजर से देखकर फिर मेरे हाथ को अपने घुटने की तरफ लम्बा करने को कहा ।
मैंने बड़े संकोच के साथ वैसा किया। बाद में मेरा दाहिना हाथ अपने हाथ में लेकर मेरी अंगुलियाँ देखी और हाथ की कुछ रेखाएं भी देखी। बाद में मुझे मीठे स्वर से पूछा-"क्यों बच्चा तेरा नाम क्या है ?"
मैंने जवाब में कहा -"किशन लाल मुझे कहते है।" फिर पूछा- "तेरे माँ बाप हैं ?" । जवाब में मैंने कहा-'बाप तो नहीं है पर मां है।" "तेरी मां कहाँ रहती है ?"- उन्होंने पूछा उत्तर में मैंने रूपाहेली का नाम बता दिया। बाद में उन्होंने पूछा - "क्या तेरी पढ़ने की इच्छा है ?" जवाब में मैंने केवल "हाँ" इतना ही कहा । इतने में ५-७ व्यक्ति जोर जोर से नमस्कार करते हुए तम्बू
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