________________
संग्रहालयों की कलाकृतियां
[भाग 10
भाग में एक कीर्ति-मुख है। यह प्रतिमा नौवीं-दसवीं शताब्दी की चालुक्यकालीन कृति निर्धारित की जा सकती है।
ब्रजेन्द्र नाथ शर्मा
म्यूजियम फूर इण्डिशे कुन्स्त, बलिन-दालेम
बलिन-दालेम स्थित म्यूजियम फूर इंडिशे कुन्स्त की उल्लेखनीय निम्नलिखित जैन प्रतिमानों की जानकारी हमें बोन विश्वविद्यालय के सेमीनार ऑफ़ोरिण्टल आर्ट-हिस्ट्री विभाग के डॉ० क्लॉउज़ फिशर ने प्रदान की है। उन्होंने हमें उन प्रतिमाओं के फोटोग्राफ भी भेजे हैं जिनमें से दो प्रतिमाओं के फोटोग्राफ यहाँ प्रकाशित किये जा रहे हैं। डॉ. फिशर ने हमें लिखा है कि ये फोटोग्राफ म्यूजियम के डायरेक्टर प्रो० एच० हर्टल ने उन्हें दिये हैं तथा प्रतिमाओं का विवरण सहायक निदेशक डॉ० वी० मौएलर ने।
(१) लाल पत्थर का तीर्थंकर का शीर्ष-भाग । मथुरा-क्षेत्र । प्रारंभिक कुषाणकाल ।
एक अलंकृत वृक्ष के नीचे कायोत्सर्ग-मुद्रा में तीर्थंकर की कांस्य-प्रतिमा दो भागों में विभक्त । यह प्रतिमा कहाँ पायी गयी इसका उल्लेख यहाँ उपलब्ध नहीं है (चित्र
३२६ क) । (३) कायोत्सर्ग तीर्थंकर और उनकी चारों ओर पद्मासनस्थ तीर्थंकर, पादपीठ पर अभिलेख
यूक्त कांस्य-प्रतिमा । दक्षिण भारत । मध्यकालीन (चित्र ३२६ ख)। (४) कायोत्सर्ग महावीर की पाषाण-निर्मित प्रतिमा, उपासकों एवं सेवकों की प्राकृतियाँ
नीचे तथा पाठ ग्रह ऊपरी भाग में अंकित हैं । दक्षिण भारत । मध्यकालीन ।
५) कायोत्सर्ग ऋषभनाथ की पाषाण-निर्मित प्रतिमा, निचले भाग पर सेवक-प्राकृतियाँ
तथा तीर्थंकर के पार्श्व में तीन-तीन कायोत्सर्ग तीर्थंकरों के चार समूह उत्कीर्ण हैं। पल्मा, जिला मानभूम। मध्यकालीन ।
संपादक
1 [म्यूजे गीमे संबंधी यह लेख म्यूजे गोमे के क्यूरेटर मेदेमोइसेल एम. देनेक तथा नेशनल रिसर्च सेंटर, पेरिस
की भूतपूर्व कार्यकर्वी मैडम प्रोदेते वियेनौत द्वारा भारतीय ज्ञानपीठ और संपादक को दी गयी सूचना पर माधारित है. मैडम प्रोदेते वियेनौत्त ने इस संग्रहालय की जैन प्रतिमाओं के फोटोग्राफ भेजे हैं जिनके लिए ज्ञानपीठ
उनका आभारी है-संपादक.] 2 पल्मा प्रतिमा के लिए चित्र 158 (ख) देखें.
564
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org