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________________ अध्याय 37 ] विदेशों के संग्रहालय फलक के शीर्ष पर एक देवकुलिका है जिसमें तीर्थंकर की पद्मासन प्रतिमा है। देवकुलिका के ऊपर कुण्डलाकार शिखर है जिसके आमलक धारीदार हैं। आमलक के दोनों ओर एक-एक विद्याधरयुगल है जो तीर्थकर की ओर हाथों में मालाएँ लिये उड़ते हुए आ रहे हैं। पादपीठ पर एक पंक्ति का अभिलेख अंकित हैं जिसमें अनंतवीर्य लिखा हुआ है, जो संभवतः यक्ष के लिए प्रयुक्त हुआ है। __ एक प्रतिमा जैन यक्षी की है जो संभवतः पद्मावती की है, जिसकी चारों भुजाओं में, घड़ी की सुई के क्रम से क्रमशः खड्ग की मूंठ (तलवार खण्डित हो चुकी है), सर्प, ढाल तथा कमल हैं (चित्र ३१७ क) । यक्षी का सिर थोड़ा दायीं ओर झुका हुआ है और वह तीन फण वाले नाग-छत्र के नीचे त्रिभंग-मुद्रा में खड़ी है। यक्षी का ऊँचा करण्ड-मुकुट, गले का आभूषण-हार, करधनी, तथा देह-यष्टि का कमनीय प्रतिरूपण आदि विशेषताएँ इंगित करती हैं कि यह प्रतिमा दसवीं-ग्यारहवीं शताब्दी के मालवा-क्षेत्र के किसी प्रतिभा-संपन्न परमारकालीन मूर्ति-शिल्पी की अत्युत्तम कृति है ।। यक्षी के वाहन सर्प को उसके पैरों के समीप रेंगते हुए दर्शाया गया है। यक्षी के पार्श्व में दोनों ओर अंकित सेविकाओं की आकृतियाँ पूर्णरूपेण खण्डित हो चुकी हैं। नाग-फण-छत्र के केंद्रवर्ती फण के ऊपर सेवकों सहित तीर्थंकर की एक लघ प्रतिमा अंकित है। देवी सरस्वती की उपासना हिंदुओं, बौद्धों और जैनों में समान रूप से लोकप्रिय रही है। जैन धर्म में वह छठे तीर्थकर पदमप्रभ की यक्षी के रूप में मान्य रही है। सरस्वती की मध्यकालीन कुछ प्रतिमाएं पल्लू, लाडनू और देवगढ़ से प्राप्त हुई हैं। इस संग्रहालय में एक श्वेत संगमरमर की सरस्वती-प्रतिमा सुरक्षित है जो संभवतः दक्षिण-पश्चिम राजस्थान-क्षेत्र की है। इस प्रतिमा में सरस्वती को अभिलेखांकित पादपीठ पर कमनीय त्रिभंग-मुद्रा में खड़े हुए दर्शाया गया है (चित्र ३१७ ख) । प्रतिमा की दायीं भुजाएँ खण्डित हो चुकी हैं, बायीं भुजाओं में वह पक्षमाला और पुस्तक लिये है । इस प्रतिमा का विशद करण्ड-मुकुट, मोहक आभूषण और कटिसूत्र से संभाली गयी 1 चंदा (राम प्रसाद). मेडिबल इण्डियन स्कल्पचर इन द ब्रिटिश म्यूजियम, लंदन. पृ 41-42. चित्र 9. 2 इस प्रतिमा की तुलना धार से प्राप्त ब्रिटिश म्यूजियम, लंदन स्थित प्रसिद्ध सरस्वती की प्रतिमा से की जा सकती है. शर्मा (बी एन) सोशल एण्ड कल्चरल हिस्ट्री ऑफ़ नार्दन इण्डिया (लगभग सन् 1000-1200). 1972. नई दिल्ली. चित्र 9. 3 गोएत्ज़ (हरमन). मार्ट एण्ड पाकिटेक्चर ऑफ़ बीकानेर स्टेट. 1950. ऑक्सफ़ोर्ड, चित्र 9-10. 4 हाण्डा (डी) एवं अग्रवाल (जी). 'ए न्यू जैन सरस्वती फ्रॉम राजस्थान,' ईस्ट एण्ड वेस्ट, 23, 1-2 पृ 169 170 तथा चित्र. 5 भट्टाचार्य (बी सी) जैन माइकोनोग्राफ़ी. 1974. दिल्ली. चित्र 41. 6 रोथेंस्टीन (डब्ल्यू) एक्जाम्पल्स प्रॉफ़ इण्डियन स्कल्पचर इन द ब्रिटिश म्यूजियम. 1923. लंदन. चित्र 6. 553 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001960
Book TitleJain Kala evam Sthapatya Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakshmichandra Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1975
Total Pages400
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Art
File Size24 MB
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