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अध्याय 32 ]
काहठ-शिल्प पट, बाजोठ (पलंग) और झूला तथा कुछ अन्य वस्तुएँ जैन घरों में काष्ठ से निर्मित करायी जाती हैं। उपयोग में आने वाली साज-सज्जा की काष्ठ-निर्मित वस्तुओं की संख्या सीमित रखी जाती है। इनमें से त्रण-खनिया और नव-खनिया (दीवार में जड़ी अलमारियाँ), जलपात्र रखने के लिए पनियारा, संदूक आदि पर सुंदर अंकन होते हैं ।
मंदिर-स्थापत्य
जैन मंदिर दो वर्गों में विभक्त किये जा सकते हैं--घर-देरासर या गृह-मंदिर और पाषाण या काष्ठ से निर्मित मंदिर । घर-देरासर गुजराती जैन समाज की एक अपनी ही विशेषता है, और ऐसा मंदिर प्रायः प्रत्येक घर में होता है चाहे उसके साधन कितने ही सीमित क्यों न हों। गुजरात और दक्षिण भारत में हिन्दू घरों में भी गृह-मंदिर होते हैं, किन्तु जैन देरासरों की अपनी अलग विशेषताएँ हैं। काष्ठ या पाषाण से निर्मित मंदिरों की यथार्थ लघु अनुकृति के रूप में घर में परिवार द्वारा उपासना के लिए ये देरासर बनाये जाते हैं। इन देरासरों पर सूक्ष्म शिल्पांकन, पॉलिश आदि का अलंकरण होता है जिसकी मात्रा गृहस्वामी की आर्थिक स्थिति के अनुसार हीनाधिक हो सकती है।
हाजा पटेल की पोल, कालूपुर, अहमदाबाद में जो शांतिनाथ-देरासर है वह सर्वाधिक प्राचीन देरासरों में से एक है। एक पाषाण पर उत्कीर्ण अभिलेख के अनुसार इस मंदिर का निर्माण विक्रम संवत् १४४६ (१३६० ई०) में सेठ सोमजी ने संपन्न किया था। समूचा मंदिर काष्ठ से बना है, इसके मण्डप पर एक ३.३५ मीटर वर्गाकार स्तूपी है जिसपर चारों ओर घूमती एक-के-ऊपर-एक सत्रह पट्टियों में शिल्पांकन है, पूरी स्तूपी में दो सौ अड़तालीस काष्ठ-फलक लगे हैं। यद्यपि स्तूपी को आधार देने वाले स्तंभों पर अलंकरण नहीं है किन्तु उनके मदलों और तोरणों पर पशुओं, रथों, दिक्पालों, दिव्य संगीत-मण्डलियों और थिरकते नर्तक-नर्तकियों के विविध रूपांकन हैं।2 गुजरात में घरों में
और भी अनेक देरासर हैं पर उनमें से अधिकांश पर कोई लेख आदि प्रकाशित नहीं हुआ अतः उनके निर्माण-काल का परिज्ञान नहीं हो सका । वास्तव में, समय-समय पर हुए जीर्णोद्धार के कारण उनके निर्माण-काल का अनुमान भी संभव नहीं। श्री-समेत-शिखर-जी की पोल, माण्डवी पोल, अहमदाबाद में जो श्री-पार्श्वनाथ-देरासर है वह लगभग तीन सौ वर्ष प्राचीन अर्थात् सत्रहवीं शती का माना जाता है। जैन समाज का केंद्र होने से अहमदाबाद में कई उल्लेखनीय देरासरों का निर्माण हा : वाघन पोल, झवेरीवाड में श्री-अजितनाथ-देरासर ; निशा पोल में चिंतामणि पार्श्वनाथ-देरासर और सहस्रफण पार्श्वनाथ-देरासर ; झवेरीवाड, शेखपाड़ा में श्री वासुपूज्यस्वामी-देरासर और श्रीशीतलनाथ-प्रभु-देरासर; श्रीरामजी की पोल में श्री सुपार्श्वनाथ-देरासर; और हाजा पटेल की पोल ।
1 वही, पृ 46. 2 वही, पृ 46. 3 वही, पृ 45-48.
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