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________________ अध्याय 22 मध्य भारत ऐतिहासिक पृष्ठभूमि ईसवी सन् १००० से १३०० की अवधि में मध्य भारत के राजनीतिक और सांस्कृतिक इतिहास के प्रवाह को जिन कुछ शक्तिशाली वंशों ने प्रभावित किया उनमें से चंदेल उत्तरी भा (जेजाकभुक्ति या बुंदेलखण्ड) पर, कलचुरि पूर्वी भाग (डाहल और महाकौशल) पर और परमार पश्चिमी भाग (मालवा) पर राज्य करते थे, किन्तु मध्य भाग पर कुछ समय कच्छपघातों का शासन रहा । इन वंशों के शासक युद्ध और शांतिकालीन कलाकृतियों के निर्माण में एक दूसरे से प्रतिस्पर्धा करते थे, और कला, स्थापत्य एवं साहित्य के महान् निर्माता और संरक्षक भी थे। यद्यपि ये वंश ब्राह्मण्य मतों के अनुयायी थे तथापि वे जैन मुनियों एवं विद्वानों का सम्मान करते थे । जैन धर्म को उनका उदार संरक्षण इसलिए भी प्राप्त था क्योंकि उनके राज्य की प्रजा का एक प्रभावशाली अंग जैन धर्मावलंबी था, जिसमें व्यापारी, साहकार तथा शासकीय पदाधिकारी भी थे। चंदेलों की एक राजधानी खजुराहो थी जिसमें जैन समाज प्रभावशाली था। यह तथ्य इस बात से प्रमाणित होता है कि वहाँ कुछ ऐसे मंदिर विद्यमान हैं जिनमें चंदेलकालीन कला मोर स्थापत्य की वही उत्कृष्टता है जो ब्राह्मण्य मंदिरों में । खजुराहो का जैन समाज इतना धनिक था कि वह उन बहुसंख्यक मूर्तिकारों एवं वास्तुविदों को संरक्षण प्रदान कर सका जिन्होंने वहाँ के राजवंश के लिए निर्माण कार्य किया था; इसकी पुष्टि वहां के दो भिन्न धर्मों के मंदिरों की मूर्तिकला तथा स्थापत्य संबंधी एकरूपता से होती है-एक तो चंदेल शासक यशोवर्मन् द्वारा सन् ६५४ से पूर्व निर्मित लक्ष्मणमंदिर, और दूसरा खजुराहो की सर्वोत्कृष्ट जैन कृति पार्श्वनाथ मंदिर जिसका निर्माण, प्राप्त उल्लेख के अनुसार, सन् ६५४ में राजा धंग द्वारा सम्मानित पाहिल नामक व्यक्ति ने कराया था। ___ खजुराहो में कुछ जैन मंदिर और भी हैं। दसवीं से बारहवीं शताब्दी तक की जैन प्रतिमाएं भी अनेक हैं, इनमें सबसे बाद की प्रतिमा की तिथि मदन वर्मा (सन् ११२६-६३) के शासनकाल 1 [यहाँ मध्य भारत से प्राशय भारत के मध्य भाग से है, उस पूर्वकालीन राजनीतिक इकाई से नहीं जो अब मध्य प्रदेश में विलीन हो गयी है.] 279 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001959
Book TitleJain Kala evam Sthapatya Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakshmichandra Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1975
Total Pages372
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Art
File Size26 MB
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