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अध्याय 1011
मथुरा
रेखाचित्र 8. श्रीवत्स चिन्ह-1-3, कुषाणकालीन (रा० सं० ल० : जे-16, जे-36, जे-17); 4-6, गुप्त कालीन
(रा० सं० ल० : जे-118; पु० सं० म० : बी-6, बी-7)
प्राप्त कुषाण और गुप्त-कालीन किसी भी मूर्ति पर हमें लांछन देखने को नहीं मिलता । विभिन्न तीर्थंकरों की पहचान के लिए तत्कालीन मूर्तियों में अभिलेख, केश-शैली तथा उनके सेवक जैसे साधन ही उपलब्ध हैं।
इसी प्रकार चौमुखी या सर्वतोभद्रिका और चौबीसी या चतुर्विशतिका जैसी-तीर्थंकर-मूर्तियाँ मथुरा में गुप्त-काल में लगभग नहीं के समान पायी गयी हैं। यही स्थिति मानस्तंभों की है।
डॉ. नीलकण्ठ पुरुषोत्तम जोशी
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