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________________ अध्याय 6 ] मथुरा ही भारी महत्त्व नहीं देते थे अपितु उन्होंने अत्यंत प्राचीन काल में ही साहित्यिक गतिविधि भी आरंभ कर दी थी । 1 प्रथम और द्वितीय ईसवी शताब्दियों की तीर्थंकर मूर्तियाँ, वेदिका स्तंभों तथा तोरणशीर्षो पर अंकित मूर्तियों से पृथक् वर्ग और शैली की हैं। विशाल स्कंध तथा वक्ष एवं आदिम स्थूलता इनकी विशेषता है । उन्मीलित नयनोंवाली इन मूर्तियों की मुद्रा कुछ कठोर है तथा ये अभिव्यक्ति एवं लालित्यविहीन हैं । यह स्थिति इस कारण नहीं हो सकती कि या तो उस युग के कलाकार में कला-कौशल की न्यूनता थी या उसमें यक्षों की श्रादिकालीन मृण्मूर्तियों की - जो आरंभ में बुद्ध, बोधिसत्वों तथा तीर्थंकरों की मूर्तियों के निर्माण के लिए प्रतिरूप का कार्य देती थीं - विशेषताओं को बनाये रखने की रूढ़िवादी भावना विद्यमान थी। ऐसा प्रतीत होता है कि यद्यपि कलाकार के लिए मानव मूर्तियों की रचना का कार्य सामान्यतः सुगम था किन्तु वह साधुवर्ग के अनुशासन से बँधा हुआ था, जिसके अनुसार उसे तीर्थंकरों की मूर्तियाँ इस रूप में गढ़नी थीं कि उनसे उनके कठोर जीवन एवं तपश्चर्या का महत्त्व झलकता हो । फिर भी, कोई व्यक्ति यह सोचे बिना नहीं रह सकता कि अपनी प्रात्मिक शक्ति, दृढ़ इच्छाशक्ति तथा धर्मानुशासन के लिए विख्यात शान्तमना तीर्थंकरों के वास्तविक स्वरूप को अभिव्यक्त करने में कलाकार को सफलता नहीं मिली है । यह बात अंगों की रचना, विशेषकर मुखाकृति से प्रकट होनेवाले भावों से स्पष्ट हो जाती है । अंगों की रचना अधिकांश मूर्तियों में अनुपातहीन और प्रायः स्थूल है । तथापि इस युग के अंत में मूर्तिकारों ने प्रर्याप्त प्रगति की। उनकी मूर्तियों में पूर्णतः तन्मय, शांत एवं चिंतनशील भावना की अभिव्यक्ति, आकर्षक संतुलन, एवं लावण्य जैसे गुणों का उदय होने लगा । गुप्त काल की आध्यात्मिक रूप से - दैदीप्यमान मूर्तियों में ये गुण चरमोत्कर्ष पर पहुँच गये थे । 1 जैन ( ज्योति प्रसाद ). जैन सोर्सेज ग्रॉफ द हिस्ट्री श्रॉफ ऍश्येण्ट इण्डिया ( ई० पू० 100-900 ई० ). 1964. facet. 100-19. Jain Education International 71 देवला मित्रा For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001958
Book TitleJain Kala evam Sthapatya Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakshmichandra Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1975
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Art
File Size21 MB
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