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________________ जैन दार्शनिक परम्परा का विकास आचार्य मल्लवादी का समय आचार्य मल्लवादी ने नयचक्र में अपने समय और परम्परा के विषय में कोई उल्लेख नहीं किया है । टीकाकार आचार्य सिंहसूरि ने भी आचार्य मल्लवादी के समय के विषय में कुछ नहीं लिखा है । अतः आचार्य मल्लवादी का समय निर्धारण करने के लिए हमें अन्य ग्रन्थों और ग्रन्थ के अन्तर्गत चर्चित वादों पर ही निर्भर होना पड़ता है । आचार्य हरिभद्रसूरि ने अपने अनेकान्त जयपताका नामक ग्रन्थ में वादि- मुख्य मल्लवादी कृत सन्मति टीका का उल्लेख किया है । मुनि जिनविजयजी ने अनेकानेक प्रमाणों से हरिभद्रसूरि का समय विक्रम कीआठवीं शताब्दी सिद्ध किया है । अतः मल्लवादी इससे पहले के विद्वान हैं । आचार्य विद्यानन्दन ने अपने श्लोकवार्तिक के नयविवरण नामक प्रकरण के अन्त में नयचक्र का हवाला दिया है और विद्यानन्द विक्रम की नवीं शताब्दी में हुए हैं यह भी प्रायः निश्चित-सा है । अतः मल्लवादी के समय की उत्तरावधि अष्टम शती के पूर्व निर्धारित होती है । जिनभद्र क्षमाश्रमण ने अपने महान् ग्रन्थ विशेषावश्यक भाष्य में जो विक्रम संवत् ६६६ में बनकर पूर्ण हुआ, और अपने ही लघु ग्रन्थ विशेषणवती में सन्मतितर्क के टीकाकार आचार्य मल्लवादी के उपयोग- युग-पद्यवाद की समालोचना की है । इससे तथा आचार्य मल्लवादी कृत द्वादशार - नयचक्र की टीका में उपलब्ध मूलपाठ में सिद्धसेन दिवाकर जी का सूचन मिलता है तथा जिनभद्रगणिक्षमाश्रमण का सूचन नहीं मिलता है अत: आ० मल्लवादी आ० जिनभद्र के पूर्ववर्ती और आ० सिद्धसेन के उत्तरवर्ती सिद्ध होते हैं। आ० मल्लवादी को यदि विक्रम की छठी शताब्दी के पूर्वार्ध में मान लिया जाय तो आ० सिद्धसेन दिवाकर का समय जो पाँचवीं शताब्दी निर्धारित किया गया है वह अधिक संगत लगता है। ऐसा पं० श्री दलसुखभाई मालवणिया जी के मत को जुगल किशोर मुख्तार जी ने अपने सन्मतिसूत्र और सिद्धसेन नामक लेख में उद्धृत किया है । ३ १. उक्तं च वादिमुख्येन श्री मल्लवादिना सम्मतो । अनेकान्त - जयपताका, पृ० ५८. २. जैन साहित्य और इतिहास, पृ० १६८-१६९, ३. जैन साहित्य और इतिहास पर विशद् प्रकाश, पृ० ५४९. १३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001955
Book TitleDvadashar Naychakra ka Darshanik Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJitendra B Shah
PublisherShrutratnakar Ahmedabad
Publication Year2008
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Epistemology
File Size11 MB
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