________________
(१७)
पृष्ठाक
सूत्रांक ३५२ ३५३-३५५
३५८ ३५९
८६-८७ ८७ ८७-८८ ८८ ८८-८९
५९
६०
३६४
८९
m
८९
m m
mm
३६९ ३७०-३७२
३७५
धर्मकथानुयोग-विषय-सूची ५२ मेघकुमार का सम्यक् बोध ५३ भगवान् द्वारा पूर्वभव में हुए सुमेरुप्रभ नामक हाथी के भव का निरूपण ५४ भगवान् द्वारा मेरुप्रभ नामक हाथी के भव का निरूपण ५५ मेरुप्रभ ने मण्डल का निर्माण किया ५६ दवाग्नि से भयभीत श्वापदों का और मेरुप्रभ का मण्डल प्रवेश ५७ मेरुप्रभ का पैर ऊँचा रखना
मेघकुमार का भव और उसमें तितिक्षा का उपदेश मेघकुमार को जातिस्मरण
मेघकुमार की पुनः प्रव्रज्या ६१ मेघकुमार की निर्ग्रन्थ चर्या ६६ भ. महावीर का राजगृह से बाहर जनपद-विहार ६३ मेघकुमार-श्रमण की भिक्षु-प्रतिमा-आराधना ६४ मेघकूमार-श्रमण द्वारा गणरत्नसंवत्सर तप का आराधन ६५ मेघकूमार-श्रमण की शारीरिक स्थिति ६६ मेघकुमार-श्रमण का विपुलगिरि पर्वत पर अनशन ६७ मेघकुमार श्रमण का समाधि-मरण ६८ स्थविरों ने मेघकुमार श्रमण के आचार भाण्ड समर्पित किये ६९ गौतम का प्रश्न. भगवान का उत्तर
७० वृत्तिकार-उद्धृत-निगमन (निष्कर्ष) गाथा २२ भ. महावीर के तीर्थ में मकाई आदि श्रमण
१ संग्रहणी गाथा
२ मकाई श्रमण और किंकिम श्रमण २३ भ. महावीर के तीर्थ में अर्जुनमालाकार
१ राजगृह में मुद्गर पाणि यक्ष का आयतन २ अर्जुन की यक्ष-पर्युपासना ३ गोष्ठिकों ने अर्जुनमालाकार को बांधा और बन्धुमति भार्या के साथ अनाचार किया ४ अर्जुन की चिन्ता और उसके शरीर में मुद्गरपाणि यक्ष का प्रवेश ५ राजगृह में आतंक ६ भगवान् का समवसरण ७ सुदर्शन का बन्दनार्थ-गमन ८ सुदर्शन को अर्जुन कृत उपसर्ग ९ उपसर्ग-निवारण
सुदर्शन और अर्जुन ने भगवान् की पर्युपासना की ११ अर्जुन की प्रव्रज्या १२ अर्जुन अणगार की तितिक्षा
१३ अर्जुन अणगार की सिद्धगति २४ भ. महावीर के तीर्थ में काश्यपादि श्रमण २५ भ. महावीर के तीर्थ में श्रेणिकपत्र जाली आदि श्रमण
१ संग्रहणी गाथा २ जाली अणगार
३७७-३७९ ३७७ ३७८-३७९ ३८०-३९३
९३-९६
३८० ३८१ ३८२ ३८३ ३८४
३८५
९४-९५
३८६ ३८७
३८८
३८९
३९१-३९२
३९४
९७-९८
३९५-३९८ ३९५
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org