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धम्मकहाणुओगे दुतीओ खंधो
एवं देवाणुप्पिया! गंतव्वं, एवं चिठ्ठियव्वं, एवं निसीइयव्वं, एवं तुयट्टियब्वं, एवं भुंजियव्वं, एवं भासियव्वं, एवं उट्ठाय-उट्ठाय पाणेहि भएहि जीवेहिं सहिं संजमेणं संजमियव्वं, अस्सि च णं अट्ठे णो किंचि वि पमाइयव्वं ॥ तए णं से खंदए कच्चायणसगोत्ते समणस्स भगवओ महावीरस्स इमं एयारूवं धम्मियं उवएसं सम्मं संपडिवज्जइ-तमाणाए तह गच्छइ, तह चिट्ठइ, तह निसीयइ, तह तुयट्टइ, तह भुंजइ, तह भासइ, तह उट्ठाय-उट्ठाय पाणेहि भूएहि जीहि सत्तेहि संजमेणं संजमेइ, अस्सिं च णं अट्ठे णो पमायइ ॥ तए णं से खंदए कच्चायणसगोत्ते अणगारे जाते-इरियासमिए -जाव- गुत्तबंभयारी चाई लज्जू धन्ने खंतिखमे जिइंदिए सोहिए अनियाणे अप्पुस्सुए अबहिल्लेसे सुसामण्णरए दंते इणमेव निग्गंथं पावयणं पुरओ काउंविहरइ॥
महावीरस्स जणवयविहारो ५०५ तए णं समणे भगवं महावीरे कयंगलाओ नयरीओ छत्तपलासाओ चेइयाओ पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता बहिया जणवयविहारं
विहरइ॥
खंदएण भिक्खुपडिमागहणं ५०६ तए णं से खंदए अणगारे समणस्स भगवओ महावीरस्स तहारूवाणं थेराणं अंतिए सामाइयमाइयाई एक्कारस अंगाई अहिज्जइ,
अहिज्जित्ता, जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छिता समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वदासीइच्छामि गं भंते ! तुब्भेहि अब्भणुण्णाए समाणे मासियं भिक्खुपडिम उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए। अहासुहं देवाणुप्पिया ! मा पडिबंध करेह ॥ तए णं से खंदए अणगारे समणेणं भगवया महावीरेणं अन्भणुण्णाए समाणे हट्टे-जाव-नमंसित्ता मासियं भिक्खुपडिम उवसंपज्जित्ताणं विहरई॥ तए णं से खंदए अणगारे मासियं भिक्खुपडिमं अहासुत्तं अहाकप्पं अहामग्गं अहातच्च अहासम्म सम्मं काएण फासेइ पालेइ सोभेइ तीरेइ पूरेइ किट्टेइ अणुपालेइ आणाए आराहेइ, सम्म काएण फासेत्ता पालेत्ता सोभत्ता तीरेत्ता पूरेत्ता किमुत्ता अणुपालेत्ता आणाए आराहेत्ता जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी"इच्छामि गं भंते ! तुर्भेहि अब्भणुण्णाए समाणे दोमासियं भिक्खुपडिम उवसंपज्जित्ताणं बिहरित्तए।" अहासुहं देवाणुप्पिया ! मा पडिबंधं । तं चेव ॥ एवं तेमासियं, चाउम्मासिय, पंचमासियं, छम्मासियं, सत्तमासिय, पढमसत्तरातिदियं, दोच्चसत्तरातिदियं, तच्चसत्तरातिदियं, रातिदियं, एगरातियं ॥ तए णं से खंदए अणगारे एगरातियं भिक्खुपडिमं अहासुत्त-जाव-आराहेत्ता जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं बंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं बयासी
खंदएण गुणरयणसंवच्छरतवोवसंपज्जणं ५०७ इच्छामि गं भंते! तुहि अब्भणुण्णाए समाणे गुणरयणसंवच्छरं तवोकम्म उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए । अहासुहं देवाणुप्पिया!
मा पडिबंधं करेह ॥ तए णं से खंदए अणगारे समणेणं भगवया महावीरेणं अब्भणुण्णाए समाणे हट्ठतुठे-जाव-नमंसित्ता गुणरयणसंवच्छरं तवोकम्म उवसंपज्जित्ताणं विहरति । तए णं से खंदए अणगारे गुणरयणसंवच्छरं तवोकम्मं अहासुत्तं अहाकप्पं-जाव-आराहेत्ता जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छद, उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता बहूहिं चउत्थ-छठ्ठट्ठम-दसम-दुवालसेहि, मासद्धमासखमणेहि विचित्तेहिं तवोकम्मेहि अप्पाणं भावेमाणे विहरइ ।
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