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________________ महावीरतित्थे मेहकुमारसमणे अभएण देवरस पडिसिजणं ३१७ तए णं से अभए कुमारे जेणामेव पोसहसाला तेणामेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता पुव्वसंगइयं देवं सक्कारेश सम्माणेइ, सम्माणेता पडिविसज्जेड़ ।। ए से देखे सवं सविज्यं पंचमेोदसोहि पाउससिरि पसार, परिसारिता जागेव दिसि पाउए सामेव दिपिडिए । धारिणीए गन्भचरिया ३१८ तसा धारिणी देवी सिलोह विससम्मानित अब परिवहइ || ३१९ ३२० ३२२ ७७ मेहस्स जम्मवावणं तए णं सा धारिणी देवी नवग्हं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं अद्धट्टमाण य राइंदियाणं वोडक्कंताणं अद्धरत्तकालसमयंसि सुकुमालपाणिपाय -जाय सव्वंगसुंदर दारगं पयाया || सक्कारेसा तए णं ताओ अंगपडियारियाओ धारिणि देवि नवहं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं जाव सव्वंगसुंदरं दारगं पयायं पासंति, पासिता सिग्धं रियं वयं व सेभिए राव उवागच्छति, उवागष्ठिता सेवियं रा जणं विजए बढावेत, बहाता रयलपरिग्गहियं सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कट्टु एवं वयासी- "एवं देवाचिया धारिणी देवी व माला पटिया सवंगसुंदर दार बदाया तं णं हे देवाचियाणं पियं निवेएमो, पियं में भवउ ।। " तए णं से सेणिए राया तासि अंगपडियारियाणं अंतिए एयमट्ठ सोच्चा निसम्म हट्टतुट्ठ ताओ अंगपडियारियाओ महुरेहिं वयणेहि विलेय पु-गंध-लकारेणं सक्कारे सम्मा मत्यधवाओ करे, पुसापुत्ति विति पे कप्पेत्ता पहिबिसने ॥ मेहस्स जम्मुरसवो ३२१ लगिए राया पचसकाम कोरिले सहावेद सहायता एवं वयासी- "खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! रायगिहं नगरं आसिय सम्मज्जिओवलितं सुगंधवरगंधगंधियं गंधवट्टिभूयं नड णटग जल्ल-मल्ल- मुट्ठिय-कप-लाह-मंत्र-यूइल्ल- तुंबीय-अभगतालावरपरिगीयं करेह, कारवेह व चारपहिकरे, करता मामाणवणं करेह, करेला एमागतियं यस्चपिह ॥" तए णं ते कोडुंबियपुरिसा सेणिएणं रण्णा एवं वृत्ता समाणा हट्टतुट्ठइ-चित्त-माणंदिया पोडमणा परमसोमणस्सिया हरिसवस विसप्पमाणहियया तमाणत्तियं पञ्चपिष्णंति || लए गं से सेगिए राया अट्ठारयषि-यसेजीमो सहावे सहावेत्ता एवं बसणं तुम्भे देवाणुष्पिया! रायविहे नगरे भरबाहिरिए उत्सुं उनक अभडप्पवेस अडिन कुडिमं अधरमं अधारणिज्जं अणुडवमुइंग अमिलामा गणिवावरताडहनकलिये अगताला परावरियं पय-पक्कीलियाभिरामं जहारिहं वयं वसवेवसि करेह, कारमेह व एमाल पच्चपिह ॥" तेवि तहेव करेंति, तहेव पच्चप्पिणंति । तए णं से सेणिए राया बाहिरियाए उबद्वाणसालाए सीहासणवरगए पुरस्थाभिमुहे सणसणे सतिएहि य साहस्सिएहि य सयसाहस्सिएहि दाहिमालयमा पच्छिमार्ग-परिमार्ण एवं च विहरह ॥ Jain Education International मेहस्स नामादिसबकार करणं तए णं तस्स अम्मापियरो पढमे दिवसे ठितिपडियं करेंति, बिति दिवसे जागरियं करेंति, ततिए दिवसे चंदसूरदंसणियं करेंति एवामेव निवत्ते असुइजायकम्मकरणे संपत्ते बारसाहे विपुलं असण- पाण- खाइम साइमं उवक्खडावेंति, उवक्खडादेत्ता मित्त-नाइ-नियमसण-संबंधि-परिवणं च बहवे गणनायग-दंडनायगराईसर-नवरा- कोबियमंति- महामंति-गण-दोवारि-व-बेडपीढम-नगर-निगम-सेट्ठि- सेणावइ- सत्यवाह दूय- संधिवाले आमंतेंति । तओ पच्छा पहाया कयबलिकम्मा कयकोउय-मंगल- पायच्छित्ता सवालंकारविभूतिया महामहालयंसि भोवणमंत असणं पाणं खाइ साइमं मिल-नाहन संबंधि-परियणेहि For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001954
Book TitleDhammakahanuogo
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj, Dalsukh Malvania
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year
Total Pages810
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Story, Literature, & agam_related_other_literature
File Size20 MB
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