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________________ पेज्ज शब्द पृष्ठ नं. | शब्द पृष्ठ नं. | शब्द पृष्ठ नं. पुव्वविदेह १/२८ | पोरिसी १/६४,६२३,६२४,६२५; | पांचाल १/१९९ पुबोवदिट्ठ १/७३८ २/७३,३०४ | पिंग पुब्बवं (अनुमान) १/२१ | पोरिसी पच्चक्खाण सुत्त २/११० | पिंड १/५३६ पुहत्तवियक सवियारी २/४०४ पोरिसी विण्णाण २/७०,७४ | पिंडय १/२५९ पूइ (ति) कड १/५६४ | पोसवत्थ २/४२६ पिंडवाय (त) १/५४८,५५०,५५१, पूइ (ति) कम्म १/५६४ | पोसहोववास १/१७२; २/११६,१२४, | ५५२,५५३,५५४,५५५,५६६,५६७,५६८, पूजा १/२२३ | १२९-१३१,१३५,१४४,१८८,१९०,१९१ |५६९,५७५-५८८,६०१,६०६,६०७,६१५, पूतिआलुग १/५८५ | पोसहोववासणिरय २/१३४ ६१६,६१७,६१९,६२०,६२८,६२९,६३०, पूय १/२५७,२५९,२६०,२६१, |पोसहोपवासस्स सम्म अणणुपालणया | ६४२,६४३,६८३,६८४,७२९,७३०,७३१, २६२,२६५,२६६,२६८,२६९,२७१,२७२, । २/१३१ ७३२; २/४२९ २७४,२७५,३४३,३४४,३४६,३४७,३४९, | पोसंत १/४१०,४११ | पिंडेसणा २/३२७,३२८,३३१ ३५०,५५५ | पंक १/३५१,३६८,३७४,३७९, पिंडोग्गह पडिमा पूयण १/१६५ ३८६,३९२,३९९ पिंडोलग २/४२९ पूयणपत्थय २/२८० पंकगय १/५११,५१२ पोंडकप्पास १/७०५ पूयफल १/३३८ | पंचखंधवाय १/१६१ पोंडरीय १/१८२,१८३ पूयाभत्त १/६३४ | पंचनिग्गहणा २/२१] पोंडरीय रूवग १/१८२-१८८ पूयासक्कार पंचमहब्वय १/४७६ | फरिसासत्ति णिसेहो २/४४८ पूव्वा संझा १/६९ | पंचमहाभूयवाई १/१५३ फरूस १/१०७; २/५० १/१४६,१७४,१९१,२१४ पंचमहब्वइयं सपडिक्कमणं धम्म २/२२७ फरूसवयण १/३०० पेज्जणिस्सिया पंच-मासिया भिक्खुपडिमा २/३१७,३२४ फलग १/७३४ पेज्जदोस १/८७ पंचवय १/८७ फलमालिय १/४१९ पेज्जदोसमिच्छादसणविजय १/१३४ पंचाणुव्वय २/१६२ फलवीणिय १/४६१,४६२ पेज्जदंसी २/४६० | पंचासव २/२१ फलिओबहड १/५४१ पेज्जबंधण २/१३०,१३८ | पंचिंदिय अघायका १/२८८ | फलियाणि पेडा १/५४३; २/३०४,३१९ | पंचिंदियकाय फालिह १/४१७ १/३३७,३३८,४३२ पंचिंदियघायका १/२८८ | फाणित १/५५५ पेस परिणाय २/१३४ | पंचिंदियतिरिक्खजोणिया १/५० फालिय-गंठिय १/७०५ पेसल १/३३५ पंडग (य) १/९४,५३० | फास १/१३८,४४४,४४५,४४८; पेसलेसाणि १/४१७,६८६ पंडगवण २/४१४ २/३३,४४८,४४९,४५३ पेसाणि १/४१७,६८६ | फासपण्णाण १/४५४ पेसवणप्पओग २/१३१ पंडि(त)य १/१८३,१८४,१८५,१८६; | फासबल २/२०४ पेसारंभ २/१३६,१३७ | २/४१५,४५४,४५५,४५८,४६८,४६९ फासमंत १/५१२ पेहुण १/४३२ | पंडिय परक्कम २/४५५ फासिन्दिय १/४७४,४७५ पोक्खरिणीपलास २/४४३,४४४,४४६, | पंडिय (त) मरण २/१९३,१९५, | फासिन्दिय अपडिसंलीण ४४७,४४९,४७१ १९७,१९८,२९७ | फासिन्दिय असंवर १/२१४ पोग्गलट्ठियाए दिट्ठी २/३२५ | पंडियमरण सरूव २/२९६ फासिन्दिय निग्गह १/१३३,७५४; २/३४ पोग्गलाण परिणाम १/४४३ | पंडियमाणिण १/१८० फासिन्दिय पच्चक्ख १/२० पोतया १/२४४,२४५ पंडियवीरिय २/४१८ | फासिन्दियमुण्डे २/८ १/६९१; २/३३२ | पंतकुल २/१९० | फासिन्दियरागोवरई १/४७० पोत्थकम्म १/४६३ | पंतचरए २/३०८ | फासिन्दिय संजम १/४३० पोय १/२२९ | पंतजीवी २/३१० फासिन्दिय संवर १/१३५ पोराण आहार १/५८६ | पंताहार २/३०९ | फासुएसणिज्ज १/६२२,६२३ पंडय पोत्तग Jain Education International For PrivP-163.nal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001951
Book TitleDravyanuyoga Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year2004
Total Pages814
LanguagePrakrit, Gujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_related_other_literature
File Size22 MB
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