________________ परि. 19 : शब्दार्थ 337 69 महिरुह-वृक्ष। 243/2 महिलिया-महिला। 310 महिसी-भैंस। 108/1 मही-पृथ्वी। 210/5 महुबिंदु-मधुबिंदु नामक दृष्टान्त। 301 महुर-मधुर। 77 माइ-मायावी। 228 माइठाण-माया। 231/3 माणपिंड-मानपिंड-भिक्षा का एक दोष। 219 माति-माता। 208/1 मारग-मारक, मारने वाला। मारुत-वायु। 57/3 माल-ऊपर का कमरा। 166 मालोहड-मालापहृत, भिक्षा का एक 59,165, दोष, ऊपर से उतारकर 169,170 भिक्षा देना। मास-माष, उड़द। 296 मासिग--मासिक। 90/2 माहण-ब्राह्मण। 208 मिच्छत्त-मिथ्यात्व। 44/4 मिच्छद्दिट्ठी-मिथ्यादृष्टि। 83/3 मित्त-मात्र। 109 मिम्मय-मृन्मय, मिट्टी का बर्तन आदि। 156 मियाहार-प्रमाणोपेत आहार करने वाला। मिलाण-म्लान। मिस्सित-मिश्रित। मीसग-मिश्रक। 22/4 मीसजात-मिश्रजात, भिक्षा का 120, एक दोष। 187,190 मुइंग-कीटिका, चींटी। 163/3 मुग्ग-मूंग। 296 मुच्छा-मूर्छा। 89/3 मुच्छित-मूर्च्छित। 96/2 मुट्ठ-वह व्यक्ति, जिसकी वस्तु _ चुराई गई हो। 227/2 मुणिय-जानकर। 134 मुत्त-१. मूर्त, 41/1, 2. प्रस्रवण। 245/2 मुद्दिय-मुद्रित, बंद किया हुआ। 164 मुद्ध-मुग्ध। मुम्मुर-लाल रंग के अग्नि-कण, करीषाग्नि। 252 मुरुंड-इस नाम का राजा। 227,228/1 मुह-मुख। 1987 मुहपोत्ति-मुखवस्त्रिका। 73/2 मूलकम्म-मूलकर्म। 231/5 मूसा-चूहा। 163/5 मेरा-मर्यादा। 101/1 मो-पादपूर्ति रूप अवयव। 73/3 मोक्ख-मोक्ष। 49/1,240 मोदग-मोदक, लड्ड। 219/9 मोय-प्रस्रवण। 219/3 रक्खा-रक्षा। 68/4 रज्ज-राज्य। 61/1 रट्ठपाल-राष्ट्रपाल नामक नाटक, जो भरत चक्रवर्ती के जीवन पर बनाया गया था। 219/13 रडण-रुदन करना, क्रंदन करना। 96/1 रण-राजा। 68/9 रत्तच्छ-रक्ताक्ष, लाल आंखों वाला। 198/11 रद्ध-राद्ध, पकाया हुआ। 76/3 रमणिज्ज-रमणीय। 76 रयण-रत्न। 138 रयणा-रचना। 253/3 रयय-रजत। 194/2 313 109 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org