________________ 336 पिंडनियुक्ति भरह-भरत चक्रवर्ती। 219/14 भविय-भव्य, होने वाला। 73/1 भाइय-भागीदार। भाण-पात्र, भाजन। 19 भासा-भाषा। 207/3 भासित-कथित, कहा हुआ। 96/3 भिक्खा-भिक्षा 37,76 भिक्खायरि-भिक्षाचर्या / 198/4 भिक्खु-भिक्षु। 227 भिस-भृश, अत्यधिक। 276 भीरुय-डरपोक। 198/15 भूमिदेव-ब्राह्मण। 210/1 भेसज्ज-भेषज। 40 भोइ-भोग करने वाला। 90 भोइग-भोजक, भोग करने वाला। 68/5 भोइणी-ग्रामाध्यक्ष की पत्नी। 205 भोइय-ग्राम-प्रमुख।' 205 भोई-भार्या। 173/2 भोज्ज-भोज्य। 85 भोम-पृथ्वी से सम्बन्धित। मइम-मतिमान्। 198/2 मइल-मलिन। 149 मइलिय-मलिन। 145 मउय-मृदु। 198/14 मंख–पट दिखाकर लोगों को आकृष्ट करने वाला। 142 मंचग-पलंग। 167 मंडग-रोटी। 296 मंडण-प्रसाधन। मंडणधाई-प्रसाधन की धात्री। 198/12 मंडल-एक मल्ल के लिए लभ्य भूखण्ड। 207/3 मंडलपसुत्ति-कुष्ठ रोग का एक प्रकार। 288/4 मंत-मंत्र। 207/2 मंतण-मंत्र का प्रयोग। 227/2 मंस-मांस। 86 मंसपेसि-मांसपेशी। 86/1 मक्खित-म्रक्षित, भिक्षा का एक 237,238/1, दोष। 242,243,243/3,244 मगर-मगरमच्छ। 154 मगह-मगध देश। 89/2 मग्गणा-मार्गणा, गवेषणा, उद्गम। 51 मच्चु-मृत्यु। 52/1 मच्छंडिय-शर्करा का प्रकार। 129 मच्छ-मत्स्य। 302 मच्छर-मात्सर्य। 148/1 मच्छि-मक्खी। 245/1 मच्छिय-मच्छीमार, मात्स्यिक। 302/2 मच्छिया-मक्षिका, मक्खी। मज्जणधाई-स्नान कराने वाली धाई। 197 मज्जार-मार्जार, बिलाव। 86 मज्जित-स्नान किया हुआ। 198/12 मज्झंतिग-मध्य। 90/1 मज्झ-मध्य। मज्झिम-मध्यम। मत-मृत। 73/6 मत्त-१. पात्र, 244, 2. उन्मत्त। 265 मत्थु-दही और छाछ के बीच __ की अवस्था। 128/3 मम्मण-अव्यक्त वाणी। 198/14 मय-मृत। 208/1 मल्लग-पात्र विशेष। 90/3 मसूर-मसूर की दाल। 296 महण-मथना। 44/3 महल्ल-बड़ा। 264 महिगा-कोहरा। 320/1 263 10 161 96/1 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org