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पिंडनियुक्ति
३१२/३. बहुयातीतमतिबहू', अतिबहुसोरे तिन्नि तिन्नि व परेणं ।
तं चिय अतिप्पमाणं', भुंजति जं वा अतिप्पंतो ॥ ६४७ ।। ३१३. हियाहारा मियाहारा, अप्पाहारा य जे नरा।
न ते विज्जा तिगिच्छंति, अप्पाणं ते तिगिच्छगा ॥ ६४८ ॥ ३१३/१. दहि-तेल्लसमाओगा, अहितो 'खीर-दधि-कंजियाणं'८ च।
पत्थं पुण रोगहरं, न य हेतू होति रोगस्स॥६४९ ॥ ३१३/२. अद्धमसणस्सा सव्वंजणस्स० कुज्जा दवस्स दो भागे।
वातपवियारणट्ठा, छब्भागं ऊणगं कुज्जा २ ॥ ६५० ॥ ३१३/३. सीतो उसिणो साहारणो य कालो तिधा मुणेयव्वो।।
साहारणम्मि काले, तत्थाहारे इमा मत्ता २ ॥ ६५१ ॥ ३१३/४. सीते दवस्स एगो, भत्ते४ चत्तारि अहव दो पाणे।
उसिणे दवस्स दोन्नी५, तिन्नि उ१६ सेसा व भत्तस्स ॥ ६५२ ॥ ३१३/५. एगो दवस्स भागो, अवट्ठितो भोयणस्स दो भागा।
वडंति व 'हायंति व८, दो दो भागा तु एक्के क्के ९॥ ६५३ ॥ ३१३/६. एत्थ२० उ ततियचतुत्था, दोण्णि य९ अणवद्विता भवे भागा।
पंचम छट्ठो पढमो, बितिओ२२ य२३ अवट्ठिता भागा२४ ॥ ६५४ ॥ दारं ॥
१. "त अइबई (ला, ब), "मइबहुयं (अ, क, बी)। एएसुं तीसुं पी, आहारे होतिमा मत्ता। २. त्रिभ्यो वा वारेभ्यः परतस्तद्भोजनमतिबहुशः (म)। १४. भागे (स)। ३. तिन्न (ला, क, ब), तिण्ह (स)।
१५. दुन्नी (अ, क), दोन्नि उ (मु)। ४. भुंक्ते यद् वा अतृप्यन् एष अइप्पमाण इत्यस्य १६.व (मु), य (स)। शब्दस्यार्थः (मवृ)।
१७.प्रसा ८६९ ५. तु. जीभा १६२८॥
१८. हाइंति वा (बी), हावंति (स)। ६. चिगि (जीभा १६३२), सर्वत्र।
१९. इक्किक्का (ला, ब), जीभा १६४०, प्रसा ८७० । ७. ओनि ५७८।
२०. तत्थ (ला, ब, स)। ८. दहिखीरसंजुयाणं (स), दहिखीरकंजि' (क)। २१.उ (स), वि (जीभा १६४१)। ९. अद्धं असणस्स (ला, ब, स)।
२२.बीओ (क)। १०.सवंज (स)।
२३.वि (मु)। ११. वाऊप' (मु, जीभा १६३८)।
२४.३१३/१-६-ये छहों गाथाएं ३१३ वीं गाथा की १२. पंकभा ७४१, व्यभा ३७०१, प्रसा ८६७, तु. मूला ४९१ व्याख्या प्रस्तुत करने वाली हैं। व्याख्यात्मक होने १३. प्रसा ८६८, जीभा (१६३९) गाथा का उत्तरार्ध इस के कारण इनको मूल निगा के क्रमांक में नहीं प्रकार है
जोड़ा है।
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