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पिंडनियुक्ति
२३१/६. अधिती' पुच्छा आसन्नविवाहो भिन्नकन्नसाहणया।
आयमण पियण ओसध, अक्खतरे 'जज्जीव अधिकरणं'२ ॥ ५०६ ॥ २३१/७. जंघापरिजित सड्डी, अद्धिति' आणिज्जते 'मम सवत्ती'५ ।
'जोगो जोणुग्घाडण', पडिसेह' पदोस-उड्डाहो ॥ ५०७ ॥ २३१/८. मा ते फंसेज्ज कुलं, अदिज्जमाणा सुता वयं पत्ता।।
धम्मो व 'लोहियस्स य', 'जइ बिंदू० तत्तिया नरगा ।। ५०८ ॥ २३१/९. किं न ठविज्जति पुत्तो, पत्तो कुल-'गोत्त-कित्ति'११-संताणो।
पच्छा वि य तं कज्जं, असंगहो मा य नासेज्जा॥ ५०९ ॥ २३१/१०. किं अद्धिति१२ त्ति पुच्छा, सवत्तिणी१३ गब्भिणि त्ति मे४ देवी।
गब्भाधाणं५ तुज्झ६ वि, करेमि७ मा अद्धितिं कुणसु ॥५१० ॥ २३१/११. जइ वि सुतो मे होहिति'९, 'तह वि'२० कणिट्ठो त्ति इतर' जुवराया।
- देति परिसाडणं से, नाते य पदोस पत्थारो२२ ॥ ५११ ॥ २३२. संखडिकरणे काया, 'कामपवित्तिं च'२३ कुणति एगत्थ।।
एगत्थुड्डाहादी, 'जज्जिय भोगंतरायं च'२४ ॥ ५१२ ॥ २३३. एवं तु गविट्ठस्सा, उग्गम-उप्पादणा-विसुद्धस्स।।
गहण-विसोहिविसुद्धस्स, होति गहणं तु पिंडस्स२५ ।। ५१३ ॥ २३४. उप्पादणाएँ दोसा, 'साहूउ समुट्ठिते वियाणाहि'२६ ।
'गहणेसणाइ दोसा, आत-पर-समुट्ठिते वोच्छं '२७ ॥ ५१४ ॥ १. अधिति (ला, ब), अद्धिई (क)।
१४. से (अ, बी)। २. अक्खु य (क, स)।
१५. 'भादाणं (अ, ब, ला, बी, स)। ३. जज्जीय (ब), जोणी य अहि. (अ). अधिकरणं १६. तु मज्झ (ब)।
-मैथुनप्रवृत्तिः (मव), कथा के विस्तार हेतु देखें १७. करेइ (अ, बी, ब), करोमि (मु)। परि. ३, कथा सं. ४४।
१८. कुणमु (बी)। ४. अधिति (ला)।
१९. होही (मु)। ५. सवत्तती (ला), सवत्ति त्ति (स)।
२०. सो वि (अ, बी)। ६. जोगप्पयणुग्घा' (ला, ब, स)।
२१. इयरो (ला, ब, मु)। ७. पडिलेह (अ, क)।
२२. प्रस्तार:-विनाशः (मवृ), कथा के विस्तार हेतु देखें ८. कथा के विस्तार हेतु देखें परि. ३, कथा सं. ४५। परि. ३, कथा सं. ४६ । ९. स्सा (मु)।
२३. “पवत्तीइ (ला, ब), "पवत्ती (स)। १०. बिंदू जइ (क)।
२४. जज्जिय भोगंतरायव्व (अ), जत्तिय भो (स)। ११. कित्ति गुत्त (क)।
२५. जीभा १४७१। १२. अधिइ (ला)।
२६. सोलस साहुसमुट्ठिया भणिया (अ, बी)। १३. सवित्तिणी (मु)।
२७. दस एसणाय दोसा गिहि साहु समुट्ठिए वोच्छं (अ),
तु. जीभा १४७२।
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