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पिंडनियुक्ति
२२१. दुविधो उ' 'संथवो खलु'२, संबंधी-वयणसंथवो चेव।
एक्केक्को ‘वि य'३ दुविधो, पुळ्ळि पच्छा य नातव्वो ॥ ४८४ ॥ २२२. मातिपिति पुव्वसंथव', सासू-ससुराइगाण' पच्छा उ।
गिहिसंथवसंबंधं, करेति पुट्विं च पच्छा वा ॥ ४८५ ।। २२२/१. आयवयं च परवयं, नाउं संबंधते तदणुरूवं ।
मम 'माता एरिसिया'१०, ससा व धूता व नत्तादी२ ॥ ४८६ ॥ २२२/२. अद्धिति'३ दिट्ठीपण्हय१४, पुच्छा कहणं ममेरिसी जणणी।
थणखेवो संबंधो, विहवा 'सुण्हा पदाणं च'१५ ॥ ४८७ ॥ २२३. पच्छासंथवदोसा, 'सासू-विहवादि'१६ धूयदाणं च।।
भज्जा ममेरिसिच्चिय, सज्जो घातो व भंगो वा ।। ४८८ ।। २२४. मायावी चडुकारी१८, अम्हं ओभावणं कुणति एसो।।
निच्छुभणादी१९ पंतो, करेज्ज भद्देसु पडिबंधो ॥ ४८९ ॥ २२५. गुणसंथवेण पुलिं, संतासंतेण जो थुणिज्जाहि।।
'दायारमदिन्नम्मि उ' २०, सो 'पुळि संथवो होति '२१ ॥ ४९० ॥ २२५/१. सो एसो जस्स गुणा, वियरंति२२ अवारिया दसदिसासु २३ ।
इहरा 'कहासु सुणिमो '२४ पच्चक्खं अज्ज दिट्ठो सि२५ ॥ ४९१ ।।
१. य (ला, ब, स, क, जीभा)। २. भावसंथवो (निभा १०४०)। ३. पुण (जीभा १४२१)। ४. माय (मु), मातपिता (निभा १०४१)। ५. 'थवो (स, निभा)। ६. सासुय (अ)। ७. सुसरा (मु)। ८. पुव्वं (मु)। ९. धई (अ, बी), 'धती (जीभा १४२७)। १०. एरिसिया माया (निभा १०४२)। ११. सुण्हा (निभा)। १२. २२२/१, २-ये दोनों गाथाएं २२२ वी गाथा की
व्याख्या रूप हैं अतः भाष्य की होनी चाहिए। १३. अधिति (ला, ब)। १४. दिट्टि (स), पाहुय (ला, ब)। १५. सुण्हा दाणं च (अ.), सुण्हाइदाणं च (मु. क),
सुण्हाय दाणं च (निभा १०४३, जीभा १४२८)। १६. विहवाई (अ, बी), सासुयवि (जीभा १४३०)। १७. "सित्तिय (ला, क, ब, निभा १०४४),
मम एरिसिया (जीभा)। १८. चडुयारो (निभा १०४५) । १९. निच्छु (ला, ब)। २०. दिन्नम्मी (निभा १०४६, मु), "म्मिं (जीभा)। २१. वयणे संथवो पुट्विं (जीभा १४३२)। २२. हिंडंति (ला, ब, स)। २३. दिसाओ (ला, ब)। २४. कहा सुव्वसि (अ, बी, क, ला)। २५. सिं (स), निभा १०४७, जीभा १४३३, २२५/१
यह गाथा २२५ की व्याख्या रूप है। इसी प्रकार २२६/१ भी २२६ वी गाथा की व्याख्या है। व्याख्यात्मक होने के कारण इसको मूल निगा के क्रमांक में नहीं जोड़ा गया है।
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