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पिंडनियुक्ति
१९८/२. मइमं अरोगि दीहाउओ य होति अविमाणितो बालो।
दुल्लभगं खु सुतमुहं, पिज्जेहि' अहं व णं देमि ।। ४१३ ॥ १९८/३. अहिगरण भद्द-पंता, कम्मुदय गिलाणए य उड्डाहो।
चडुगारी व अवण्णो, 'नियगो अण्णं च'" व णं५ संके ॥ ४१४ ॥ १९८/४. अयमवरो उ विकप्पो, भिक्खायरि सड्डि अद्धिती' पुच्छा।
दुक्खसहाय विभासा, हितं च धातित्तणं अज्ज ॥ ४१५ ॥ १९८/५. 'वय-गंडथुल्लतणुगत्तणेहि तं . पुच्छिउं'११ अयाणंतो।
तत्थ गत१२ तस्समक्खं, भणाति तं पासिउं बालं ॥ ४१६ ॥ १९८/६. अहुणुट्ठियं च अणवेक्खितं 'च इणमं'१३ कुलं तु मन्नामि ।
पुन्नेहि जहिच्छाए, 'तरई बालेण सूएमो'१४ ॥ ४१७ ॥ १९८४७. थेरी दुब्बलखीरा, चिमिढो५ पेल्लियमुहो१६ अतिथणीए।
तणुई१७ 'उ मंदखीरा'१८, 'कोप्परथणियं ति१९ सूइमुहो ॥ ४१८ ॥ १९८४८. जा जेण होति वण्णेण, उक्कडा 'गरहते य तं तेणं'२० ।
गरहति समाण तिव्वं, पसत्थभेदं२१ ‘च दुव्वण्णं'२२ ॥ ४१९ ॥
१. पिज्जाहि (मु), पज्जेहि (निभा ४३७८)। ११. 'तणुयत्तणेण पुच्छियं (ला, ब), वय-गंड तणुय २. चडुकारी (मु)।
थूलगत्तणेहि तो पु (अ, बी)। ३. य (अ, क, बी, मु, निभा)।
१२. गतो (स, निभा ४३८१)। ४. नीयावण्णो (अ, ब), नीया अण्णो (निभा ४३७९)। १३. व इमं (ला, ब, स), इमगं (क, निभा ४३८२)। ५. णम् इति वाक्यालंकारे (मवृ)।
१४. चलइ बालेण सूएम (अ, बी), स प्रति में गाथा ६. संका (स)।
का उत्तरार्ध नहीं है। ७. अधिती (ब)।
१५. चिविडो (ब, क, स)। ८. हिया (ला, ब)।
१६. पिल्लिय' (अ, क, बी)। ९. मे (अ, बी, मु, स, निभा ४३८०), मि (क)। १७. तुणुई (ला, ब)। १०. अज्जो (बी, ला, निभा), निशीथ चूर्णि में इस प्रसंग १८. मंदक्खीरा (स. निभा ४३८३)।
में धात्री और मुनि के मुख से पद्य कहलवाए गए १९. कप्पर (ला. ब), कोप्परि' (स). हैं। सर्वप्रथम धात्री कहती है
कुप्परथणियाए (मु)। जो य ण दुक्खं पत्तो, जो य न दुक्खस्स निग्गहसमत्थो। २०. 'हती तु (ला, ब, स), 'हते स जो य न दुहिए दुहिओ, न हु तस्स कहिज्जउ दुक्खं। तेणेव (निभा ४३८४)। मुनि इसका उत्तर देते हुए कहता है-
२१. "त्थमियरं (क, मु)। अहयं दुक्खं पत्तो, अहयं दुक्खस्स निग्गहसमत्थो। २२. “वण्णा (अ, ब, ला), दुवण्णे य (स), अहयं दुहिए दुहिओ, तो मज्झ कहिज्जउ दुक्खं ॥ तु दुव्वण्णे (क)।
निचू भा. ३ पृ. ४०५
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