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पिंडनियुक्ति
१९२/१. दव्वाइओर विवेगो, दव्वे जं दव्व जं जहिं खेत्ते।।
काले अकालहीणं, असढो जं पस्सती भावे ॥ ३९६ ॥ १९२/२. सुक्कोल्ल सरिसपाए, असरिसपाए य एत्थ चउभंगो।
तुल्ले तुल्लनिवाते', तत्थ दुवे 'दोन्नि वाऽतुल्ला'६ ॥ ३९७ ॥ १९२/३. 'सुक्के सुक्कं' पडितं, विगिंचिउं होति तं सुहं पढमो।
बीयम्मि दवं छोढुं, गालंति दवं० करं दाउं ॥ ३९८॥ १९२/४. ततियम्मि करं१ छोढुं, उल्लिंचति१२ ओदणादि जं तरति ।
दुल्लभदवम्मि३ चरिमे, तत्तियमेत्तं विगिचंति ॥ ३९९ ॥ १९२/५. संथरे सव्वमुझंति, चउभंगो असंथरे ।
असढो सुज्झते जेसु५, मायावी 'तेसु लग्गती '१६ ॥ ४०० ॥ १९२/६. कोडीकरणं दुविधं, उग्गमकोडी विसोधिकोडी य।
उग्गमकोडी छक्कं, विसोधि कोडी अणेगविहा७ ।। ४०१॥ १९२/७. नव चेवऽट्ठारसगं, सत्तावीसा तहेव चउपण्णा ।
नउती दो चेव सया, 'उ सत्तरी'१८ होंति कोडीणं१९ ॥ ४०२ ॥ १९३. सोलस उग्गमदोसे, गिहिणो उ समुट्ठिते२० वियाणाहि।।
उप्पादणाय दोसे, 'साहू उर समुट्ठिते जाण'२२ ॥ ४०३ ॥
१. ईओ (अ)। २. तहिं (स)। ३. सुक्खोल्ल (अ, बी)। ४. सूत्रे च पुंस्त्वनिर्देश आर्षत्वात् (म)। ५. निवाओ (ला, क, स), निवाया (अ, बी)। ६. दोन्नऽतुल्ला उ (मु)। ७. सुक्खे सुक्खं (अ, बी)। ८. विगिंचय (बी)। ९. गलंति (अ, बी), गालेति (स), जीभा १३०९। १०. दव्वं (अ, क, बी)। ११. करे (अ)। १२. उल्लिचइ (ला, ब)। १३. दुल्लभदव्वं (मु, ब)। १४. विगिंचेई (अ, बी)। १५. तेसु (ला, ब, स)।
१६. जेसु बज्झई (क, मु), गाथा में अनुष्टुप् छंद है। १७. भवे सेसा (दशनि २२०), तु. जीभा १२९३ । १८. तु सत्तरा (जीभा १२८९)। १९. दशनि २२१, १९२/१-७-ये सात गाथाएं व्याख्या
परक एवं चतुर्भगियों से संबंधित होने के कारण नियुक्ति की नहीं होनी चाहिए। १९२/६,७-ये दोनों गाथाएं किसी भी हस्तप्रति में नहीं मिलती हैं। अवचूरि तथा प्रकाशित टीका में ये गाथाएं निगा के क्रमांक में व्याख्यात हैं। ये गाथाएं अतिरिक्तसी लगती हैं। इनको मूल निगा के क्रमांक में
नहीं रखा है। २०. समुच्छिए (ला, ब), समुत्थिए (स)। २१. साहूय (अ, बी), साहूण (क)। २२. आयसमुत्थे अओ वोच्छं (ला, ब, स),जीभा १३१३ ।
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