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________________ प्रियोदया हिन्दी व्याख्या सहित 169 मूल सूत्र में ऊपर जो ' एवं' जोड़ा गया है; उसका तात्पर्य यह भी है कि कोई व्यक्ति यह नहीं समझ ले कि अकारान्त धातुओं में केवल 'ए' और 'से' प्रत्यय ही जोड़े जाते हैं और 'इ' तथा 'सि' प्रत्यय नहीं जोड़े जाते हैं; ऐसा विपरीत और निश्चयात्मक अर्थ का निषेध करने के लिए ही 'एव' अव्यय को सूत्र में स्थान दिया गया है; तदनुसार पाठकगण यह अच्छी तरह से समझ ले कि अकारान्त धातुओं में तो 'ए' और 'से' के समान ही 'इ' तथा 'सि' की भी प्राप्ति अवश्यमेव होती है; किन्तु अकारान्त के सिवाय आकारान्त, ओकारान्त आदि धातुओं में केवल 'इ' तथा 'सि' की प्राप्ति होकर 'ए' एवं "से' की प्राप्ति का निश्चययात्मक रूप से निषेध है। इस प्रकार से आकारान्त, ओकारान्त धातुओं के समान ही अकारान्त धातुओं में भी 'इ' तथा 'सि' प्रत्ययों की प्राप्ति अवश्यमेव होती है। इस विवेचना से यह प्रमाणित होता है अकारान्त धातुओं में तो ‘इ, ए, सि, से' इन चारों प्रकार के प्रत्ययों की प्राप्ति होती है; परन्तु आकारान्त, ओकारान्त आदि धातुओं में केवल 'इ' और 'सि' इन दो प्रत्ययों का प्रयोग किया जा सकता है। 'ए और से' का नहीं। अकारान्त- धातुओं के उदाहरण इस प्रकार है:- इसति - हसइ = वह हँसता है अथवा वह हँसती है। हससि - हससि तू हँसता है अथवा तू हँसती है। वेपते-वेवइ-वह कांपता है अथवा वह कांपती है । वेपसे = वेवसि = तू कांपता है अथवा तू कांपती है । इत्यादि । 'हस' (क्रियापद) रूप की सिद्धि सूत्र - संख्या ३- १३९ में की गई है। 'हसते' (क्रियापद) रूप की सिद्धि सूत्र - संख्या ३ -१४० में की गई है। त्वरते संस्कृत का वर्तमानकाल का प्रथमपुरुष का एकवचनान्त आत्मनेपदीय अकर्मक क्रियापद का रूप है। इसका प्राकृत रूप तुवरए होता है। इसमें सूत्र - संख्या ४- १७७ से संस्कृत धातु 'त्वर' के स्थान पर प्राकृत में 'तुवर्' रूप की आदेश प्राप्ति ४-- २३९ से वर्तमानकाल के प्रथमपुरुष के एकवचन में प्राप्त संस्कृत आत्मनेपदीय प्रत्यय 'ते' के स्थान पर प्राकृत में ‘ए' प्रत्यय की प्राप्ति होकर तुवरए रूप सिद्ध हो जाता है। त्वरसे संस्कृत का वर्तमानकाल का द्वितीय पुरुष का एकचचनान्त आत्मनेपदीय अकर्मक क्रियापद का रूप है। इसका प्राकृत-रूप तुवरसे होता है। इसमें सूत्र - संख्या ४- १७० से 'त्वर्' के स्थान पर 'तुवर्' की आदेश प्राप्ति; ४-२३९ से 'तुवर्' में विकरण प्रत्यय 'अ' की प्राप्ति और ३- १४० से वर्तमानकाल के द्वितीय पुरुष के एकवचन में प्राप्तव्य संस्कृत-आत्मनेपदीय प्रत्यय 'से' के स्थान पर प्राकृत में भी 'से' प्रत्यय की प्राप्ति होकर तुवरसे रूप सिद्ध हो जाता है। करोति संस्कृत का वर्तमानकाल का प्रथमपुरुष का एकवचनान्त परस्मैपदीय सकर्मक क्रियापद का रूप है। इसका प्राकृत रूप करए होता है। इसमें सूत्र संख्या ४- २३४ से मूल संस्कृत धातु 'कृ' में स्थित अन्त्य 'ऋ' के स्थान पर 'अर' आदेश की प्राप्ति होकर अंग रूप से 'कर' की प्राप्ति और ३- १३९ से वर्तमानकाल के प्रथमपुरुष के एकवचन में प्राप्तव्य संस्कृत परस्मैपदीय प्रत्यय 'ति' के स्थान पर प्राकृत में 'ए' प्रत्यय की प्राप्ति होकर करए रूप सिद्ध हो जाता हैं। करोषि संस्कृत का वर्तमानकाल का द्वितीय पुरुष का एकवचनान्त परस्मैपदीय सकर्मक क्रियापद रूप है। इसका प्राकृत रूप करसे होता है। इसमें सूत्र - संख्या ४- २३४ से संस्कृत धातु 'कृ' के स्थान पर प्राकृत में 'कर' रूप की प्राप्ति और ३-१४० से प्राप्तांग धातु 'कर' में वर्तमानकाल के द्वितीय पुरुष के एकवचन में प्राकृत में 'से' प्रत्यय की प्राप्ति होकर करसे रूप सिद्ध हो जाता है। ठाइ (क्रियापद) रूप की सिद्धि सूत्र - संख्या १ - १९९ में की गई है। तिष्ठसि संस्कृत का वर्तमानकाल का द्वितीय पुरुष का एकवचनान्त परस्मैपदीय अकर्मक क्रियापद का रूप है। इसका प्राकृत रूप ठासि होता है। इसमें सूत्र - संख्या ४ - १६ से मूल संस्कृत धातु 'स्था' के आदेश प्राप्त संस्कृत रूप 'तिष्ठ्' के स्थान पर प्राकृत में 'ठा' रूप की आदेश प्राप्ति और ३-१४० से वर्तमानकाल के द्वितीय पुरुष के एकवचन में संस्कृत प्राप्तव्य प्रत्यय 'सि' के स्थान पर प्राकृत में भी 'सि' प्रत्यय की प्राप्ति होकर ठासि प्राकृत रूप सिद्ध हो जाता है। उद्वाति संस्कृत का वर्तमानकाल का प्रथमपुरुष का एकवचनान्त परस्मैपदीय अकर्मक क्रियापद का रूप है। इसका प्राकृत रूप वसुआइ होता है। इसमें सूत्र- संख्या ४ - ११ से संस्कृत मूल धातु 'उद्दवा' के स्थान पर प्राकृत में 'वसुआ' रूप Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001943
Book TitlePrakrit Vyakaranam Part 2
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorSuresh Sisodiya
PublisherAgam Ahimsa Samta Evam Prakrit Samsthan
Publication Year2006
Total Pages434
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size11 MB
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