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________________ 102 : प्राकृत व्याकरण 'स्सि' और षष्ठी विभक्ति के एकवचन में प्राप्तव्य प्राकृत प्रत्यय 'स्स' के प्राप्तव्य होने पर सम्पूर्ण सर्वनाम 'इदम्' के स्थान पर प्राकृत में 'अ' अंग रूप की वैकल्पिक रूप से प्राप्ति हुआ करती है। जैसे:- 'स्सि' प्रत्यय का उदाहरणअस्मिन्=अस्सि अर्थात् इसमें और 'स्स' प्रत्यय का उदाहरण- अस्य अस्स अर्थात् इसका । वैकल्पिक पक्ष का उल्लेख होने से पक्षान्तर में सूत्र-संख्या ३-७२ के विधान से 'इदम्' के स्थान पर 'इम' अंग रूप की प्राप्ति भी होती है। जैसे:अस्मिन्=इमस्सि अर्थात् इसमें और अस्य = इमस्स अर्थात् इसका । बहुलाधिकार से 'इदम्' के स्थान पर पुल्लिंग में 'ए' अंग रूप की और स्त्रीलिंग में 'आ' अंग रूप की भी प्राप्ति देखी जाती है। जैसे:- एभि = एहि अर्थात् इनके द्वारा । स्त्रालिंग का उदाहरणः- आभिः= आहि अर्थात् इन (स्त्रियों से) एषु = एसु अर्थात् इनमें। इन उदाहरणों में 'इदम्' के स्थान पर प्राकृत में 'ए' अंग रूप की और 'आ' अंग रूप की उपलब्धि दृष्टिगोचर हो रही है; इसका कारण 'बहुलं' सूत्र ही जानना । अस्मिन संस्कृत सप्तमी एकवचनान्त पुल्लिंग सर्वनाम रूप है। इसके प्राकृत रूप अस्सि और इमस्सि होते हैं। इनमें से प्रथम रूप में सूत्र-संख्या ३-७४ से 'इदम्' शब्द के स्थान पर प्राकृत में 'अ' अंग रूप की प्राप्ति और ३-५९ से सप्तमी विभक्ति के एकचन में संस्कृत प्रत्यय 'ङि' के स्थान पर प्राकृत अंग रूप 'अ' में 'स्सि' प्रत्यय की आदेश प्राप्ति होकर प्रथम रूप अस्सि सिद्ध हो जाता है। द्वितीय रूप इमस्सि की सिद्धि सूत्र - संख्या ३-६० में की गई है। अस्य संस्कृत षष्ठी एकवचनान्त पुल्लिंग सर्वनाम रूप है। इसके प्राकृत रूप अस्स और इमस्स होते हैं। इनमें से प्रथम रूप में सूत्र-संख्या ३-७४ से 'इदम्' शब्द के स्थान पर प्राकृत में 'अ' अंग रूप की प्राप्ति और ३- १० से षष्ठी विभक्ति के एकवचन में संस्कृत प्रत्यय 'ङस्' के स्थान पर प्राकृत अंग रूप 'अ' में 'स्स' प्रत्यय की आदेश प्राप्ति होकर प्रथम रूप अस्स सिद्ध हो जाता है। द्वितीय रूप- (अस्य) इमस्स में सूत्र संख्या ३-७२ से संस्कृत शब्द 'इदम' के स्थान पर 'इम' अंग रूप की प्राप्ति और ३-१० से प्रथम रूप के समान ही 'स्स' प्रत्यय की प्राप्ति होकर द्वितीय रूप इमस्स भी सिद्ध हो जाता है। एभिः संस्कृत तृतीया बहुवचनान्त पुल्लिंग सर्वनाम रूप है। इसका प्राकृत रूप एहि होता है। इसमें सूत्र - संख्या ३-७४ की वृत्ति से संस्कृत शब्द 'इदम्' के स्थान पर प्राकृत में 'ए' अंग रूप की प्राप्ति और ३-७ से तृतीया विभक्ति के बहुवचन में संस्कृत प्रत्यय 'भिस्' के स्थान पर प्राकृत में 'हि' प्रत्यय की प्राप्ति होकर एहि रूप सिद्ध हो जाता है। एषु संस्कृत सप्तमी बहुवचनान्त पुल्लिंग सर्वनाम रूप है। इसका प्राकृत रूप एसु होता है। इसमें ३-७४ की वृत्ति से 'इदम्' के स्थान पर 'ए' अंग रूप की प्राप्ति और १ - २६० से 'ष्' के स्थान पर 'स्' की प्राप्ति होकर एसु रूप सिद्ध हो जाता है। आभिः संस्कृत तृतीया बहुवचान्त स्त्रीलिंग सर्वनाम रूप है। इसका प्राकृत रूप आहि होता है। इसमें सूत्र - संख्या ३-७४ की वृत्ति से मूल संस्कृत शब्द 'इदम्' के स्थान पर प्राकृत में पुल्लिंग में 'अ' अंग रूप की प्राप्ति; ३-३२ और २-४ से पुल्लिंगत्व से स्त्रीलिंगत्व के निर्माणार्थ प्राप्तांग 'अ' में 'आ' प्रत्यय की प्राप्ति और ३-७ से तृतीया विभक्ति बहुवचन में संस्कृत प्रत्यय 'भिस्' के स्थान पर प्राकृत में 'हि' प्रत्यय की प्राप्ति होकर आहि रूप सिद्ध हो जाता है ।।३-७४ ।। डेर्मे न हः ।। ३-७५।। इदमः कृते मादेशात् परस्य डे स्थाने मेन सह ह आदेशो वा भवति । इह । पक्षे । इमस्सि । इमम्मि ।। अर्थः- संस्कृत सर्वनाम शब्द 'इदम्' के प्राकृत रूपान्तर में सूत्र - संख्या ३-७२ से प्राप्तांग 'इम' में सप्तमी विभक्ति के एकवचन में संस्कृत प्राप्तव्य प्रत्यय 'ङि' के प्राप्त होने पर मूलांग 'इम' में स्थित 'म' और 'ङि प्रत्यय इन दोनों के स्थान पर वैकल्पिक रूप से 'ह' की आदेश प्राप्ति हुआ करती है। जैसे:- अस्मिन् इह अर्थात् इसमें अथवा इस पर। वैकल्पिक-पक्ष का सद्भाव होने से पक्षान्तर में अस्मिन् = इमस्सि और इमम्मि रूपों का अस्तित्व भी जानना चाहिए। अस्मिन् संस्कृत सप्तमी एकवचनान्त पुल्लिंग सर्वनाम रूप है। इसके प्राकृत रूप इह, इमस्सि और इमम्मि होते हैं। इनमें से प्रथम रूप में सूत्र - संख्या ३-७२ से मूल संस्कृत शब्द 'इदम्' के स्थान पर प्राकृत में 'इम' अंग रूप की प्राप्ति Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001943
Book TitlePrakrit Vyakaranam Part 2
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorSuresh Sisodiya
PublisherAgam Ahimsa Samta Evam Prakrit Samsthan
Publication Year2006
Total Pages434
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size11 MB
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