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________________ बटुल वट्टो वट्ठ वडिस वड्डयर वढो चढरो वफ वणं वणम्मि वणे वणस्सइं वणिआ वणे वणोली वण्णो वही वतनक वतनके वत्तं वत्ता वतिआ वत्तिओ वन्दणं वन्दामि वन्दे वन्दित्त वन्दारया वन्द्रं वम्फइ वंफड़ वम्महो वम्मिओ वम्हलो वयंसो वयणं वि. न. (वर्तुलम्) गोल, वृत्ताकार, एक प्रकार का कंद मूल; २-३०। पुं. (वृत्त:) गोल, पद्य, श्लोक, कछुआ; २- २९ । नं. (पृष्टम् ) पीछे का तल १-८४, १२९ । न. (वडिशम्) मच्छली पकड़ने का कांटा; १- २०२। दे. वि. (बृहत्तरम्) विशेष बड़ा २-१७४। देश. पुं. (वडः) दरवाजे का एक भाग; २- १७४ वढलो पुं. (बठरः) मूर्ख, छात्र, शठ, धूर्त, मन्द, आलसी; १-२५४ । पुं. (वनस्पति) फूल के बिना ही जिसमें फल लगते हों वह वृक्ष; २-६९। न. ( वनम् ) अरण्य, जंगल; १ - १७२ । वर्णमि न (वने) जंगल में, अरण्य में; १ - २३ । न. (वने) जंगल में; २- १७८ । पुं. ( वनस्पतिः) फूल के बिना ही जिसमें फल लगते हों वह वृक्ष; २-६९ । स्त्री. ( वनिता) स्त्री, महिला, नारी; २ - १२८ । अ. (निश्चययादि अर्थक निपातम् ) निश्चय, विकल्प, अनुकम्पनीय अर्थक अव्यय २ - २०६ । स्त्री. (बनावली) अरण्य भूमि ; २ - १७७ ॥ पुं. (वर्ण:) प्रशंसा, श्लाघा, कुंकुम, १-१४२। गीत क्रम, चित्र १-१७७१ पुं. (वलि) अग्नि, चित्रक वृक्ष, भिलाका का पेड़; २-७५। (पै.) न. ( वदनम् ) मुंह, मुख; उक्ति, कथन २-१६४। (पै.) न. ( वदने) मुख में, मुंह पर उक्ति में; २-१६४। न. (पात्रम्) भाजन बरतन १-१४५। स्त्री. (वार्ता) बात, कथा; २-३०। स्त्री. (वर्तिका) बत्ती, सलाई, कलम २-३०। वि. (वार्तिकः) कथाकार; २-३०१ न. ( वन्दनम् ) प्रणाम, स्तवन, स्तुति १ - १५१ । सक. (वन्दै) मैं वंदना करता हूं; १-६ । सक (वन्दे) में वंदना करता हूँ; १-२४। वन्दित्ता सं. कृ. ( वृन्दित्वा) वंदना करके ; २- १४६ । वि. ( वृन्दारका) मनोहर, मुख्य, प्रधान १-१३२ । न. (वन्द्रम) समूह, यूथ १-५३ २-७९८ सक. (कांक्षति) वह इच्छा करता है; १-३०। सक. (कांक्षति) वह इच्छा करता है; १-३०। पुं. ( मन्मथः) कामदेव, कंदर्प, १ - २४२, २ - ६१ । पुं. (वल्मीकः) कीट विशेष द्वारा कृतमिट्टी का स्तूप: १-१०१। दे. पु. (? अपस्मारः) केशर; २- १७४ । पु. ( वयस्यः) समान आयु वाला मित्र १-२६ २- १८६ । न. ( वचनं ) उक्ति, कथन, वचन, १ - २२८ 1 Jain Education International वयणा वयं वर वरिअं वरिसं वरिसा वरिससयं वर्त्त वर्ध वर्ष वलयाणलो वलयामुहं वलिसं वलुणो वल्ली वसई वसन्ते वसही परिशिष्ट-भाग : 411 वयणाई न ( वचनानि) उक्तियां, विविध कथन: १-३३। न. (वयस्) आयु, उम्र १-३२। पाठओ वि. (प्रावृत्तः) ढंका हुआ १-१३१/ निउअं वि (निवृतम्) परिवेष्टित, घेराया हुआ; १-१३१। निव्वअं वि. (निर्वृतम्) निवृति प्राप्त; १--१३१। निव्वुओ वि. (निर्वृतः ) निवृति प्राप्त ; १ - २०९ । विउ वि (विवृतम्) विस्तृत व्याख्यात १-१३१। संवुअं वि (संवृतम्) संकडा, अविस्तृत ; १ - १३५ ॥ वि. (वृतम् ) स्वीकृति, जिसकी सगाई की गई हो वह; २-१०७१ न. ( वर्षम् ) मेघ, भारत आदि क्षेत्र; २ - १०५। स्त्री (वर्षा) वृष्टि, पानी का बरसना । न. ( वर्ष - शतम्) सौ वर्ष; २ - १०५ । - (धातु) व्यवहार आदि अर्थ । वित्तं न ( वृत्तम्) वृत्ति, वर्तन, व्यवहार; १ - १२८ । वट्टो पुं (वृत्त) कूर्म, कछुआ २ २९ । निअत्तसु आज्ञा अक (निवर्त्तस्व) निवृत्त हो; २-१९६। निवृत्तं वि (निवृत्तम्) निवृत्त, हटा हुआ, प्रवृत्ति - विमुख १-१३२॥ निअत्तं वि (निवृत्तम्) निवृत्त, हटा हुआ, प्रवृत्ति - विमुख १९३२॥ पडिनिअत्तं वि. (प्रतिनिवृत्तम्) पीछे लौटा हुआ; १- २०६। पयट्टइ अक (प्रवर्तते वह प्रवृत्ति करता है; २-३०1 पयट्टो वि (प्रवतः ) जिसने प्रवृत्ति की हो वह २-२९। संवट्टि वि. (संवर्तितम् ) संवर्त युक्त २-३०। - (धातु) बढ़ने अर्थ में। विद्ध वि (वृद्ध) बुड्ढा १-१२८ २-४० / बुढो पुं (वृद्ध) बुड्ढा १-१३२ २ ४० ९० ॥ - (धातु) बरसने अर्थ में विट्ठो, बुट्टो वि (वृष्टः ) बरसा हुआ, १-१३७। पट्टो पुं. वि. (प्रवृष्टः ) बरसा हुआ, १-१३१ | पुं (वडवानलः) वडवाग्नि, वडवानलः १- १७७। न. (वडवामुखम् ) वडवाग्नि, १ - २०२ । न. (बडिशम्) मछली पकड़ने का कांटा; १ - २०२ । पु. ( वरुणः) वरूणवर द्वीप का एक अधिष्ठाता देव; १ - २५४ । स्त्री (वल्ली) लता, बेल १-५८१ स्त्री. ( वसतिः) स्थान, आश्रय, वास, निवास; १-२१४। पुं. (बसन्ते) ऋतु- विशेष में; चैत्र वैशाख मास के समय में; १ - १९० । स्त्री ( वसति) स्थान, आश्रय, वास, For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001942
Book TitlePrakrit Vyakaranam Part 1
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorSuresh Sisodiya
PublisherAgam Ahimsa Samta Evam Prakrit Samsthan
Publication Year2006
Total Pages454
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size16 MB
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