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झिज्जइ
झीणं
झुणी
(ट)
टक्को टगरो
टसरो
टूवरो
(ठ)
ठड्डो
ठम्भिज्जइ
ठम्भो ठविओ
ठीणं
डक्को
परिशिष्ट-भाग : 393 उत्कण्ठा-पूर्वक स्मरणः; २-२६।
णच्चा कृद (ज्ञात्वा) जान करके; २-१५। क्रिया (क्षीयते) वह क्षीण होता है; वह कृश होता णडं न (नडम्) तृण-विशेष; भीतर से पोला, बाण है; २-३
के आकार का घास; १-२०२। वि (क्षीणम्) क्षय-प्राप्त; विनष्ट; विच्छिन्न, कश; णडालं न. (ललाटम्) ललाटः भाल, कपाल; १-४७, २-३।
२५७;२-१२३। स्त्री (ध्वनिः) ध्वनि, आवाज; १-५२। णरो पुं. (नरः) मनुष्य; पुरूष; १-२२९।
णलं
न (नडम्) तृण-विशेष; १-२०२। पुं. (टक्कः ) देश-विशेष; १-१९५।
णलाडं
न (ललाटम्) भाल, कपाल; २-१२३। पु. (तगरः) वृक्ष-विशेष; तगर का वृक्ष; १-२०५। णवर अ (केवलम्) केवल, फक्त; २-१८७, १९८५
(त्रसरः) टसर; एक प्रकार का सूत; १-२०५। णवरं अ (केवलम्) केवल, फक्त; २-१९८, २०४। पुं. (तूवरः) जिसके दाढ़ी-मूंछ न उगी हो, ऐसा णवरि अ. (आनन्तर्य-अर्थ) अनन्तर, बाद में; २-१८८ चपरासी; १-२०५।
णवि अ (वैपरीत्य-अर्थो) विपरीतता-सूचक,
निषेधार्थक; २-१७८।। वि (स्तब्ध) हक्का बक्का; कुण्ठित, जड़; णाइ
अ (नत्रर्थे) नहीं अर्थक अव्यय; २-१९०। २-३९।
णाडी स्त्री (नाडी) नाड़ी, नस, सिरा; १-२०२। कि (स्तम्भ्यते) उससे हक्का बक्का हुआ जाता णाण न (ज्ञानम्) ज्ञान, बोध, चैतन्य, बुद्धि; २-४२, है;२-९।
८३। पुं. (स्तम्भ) खम्भा; थम्भा; स्तम्भ; २-९।
णामुक्कसिअं दे. (कार्यम्) कार्य, काम, काज; २-१७४ । ठाविओ वि (स्थापितः) स्थापना किया हुआ;
स्त्री (नार्यः) नारियां; १-८॥ १-६७|
णाली स्त्री (नाडी) नाडी, रस, सिरा; १-२०२। न (स्त्यानं) आलस्य; प्रतिध्वनि; १-७४; २-३३।। णाहलो पुं. (लाहलः) म्लेच्छ पुरूषों की एक जाति विशेष:
१-२५६॥ वि. (दष्टः) डसा हुआ; दाँत से काटा हुआ; २.-२,
णिअम्ब पु. (नितम्ब) कमर के नीचे का पार्श्ववर्ती भाग:
१-४।
णिच्चलो पुं (दण्डः ) जीव-हिंसा; लाठी, सजा; १-२१७॥
वि (निश्चल:) स्थिर, द्दढ़, अचल; २-७७।
णिडालं न (ललाटम) ललाट; १-४७,२५७ वि (दष्टः) जिसको दांत से काटा गया हो वह;
णिल्लज्ज १-२१७/
वि (निर्लज्ज) लज्जा रहित; २-२०२। वि (दग्धः) जलाया हुआ; १-२१७।
णिव्वडन्ति अक (भवन्ति) होते हैं; २-१८७। पुं. (दर्भः) तृण-विशेष; कुश; १-२१७॥
णीसहेहिं वि (निःसहै :) मन्दों से; अशक्तों से; २-१७९ । पुं. (दम्भः ) माया, कपट; १-२१७
णुमज्जइ अक. (निमज्जति) वह डूबता है; १-९४ । पुं. (दरः) भय, डर; १-२१७।
णुमण्णो वि. (निमग्नः) डूबा हुआ; १-९४, १७४।
णेअं सक. (दंशति) वह काटता है; १-२१८।
कृ. (ज्ञेयम्) जानने योग्य; २-१९३। न (दशनम्) दंश, काटना; १-२१७॥
न (नीडम्) घाँसला; २-९९/ सक (दहति) वह जलाता है; १-२१८।
पहाविओ पु. (नापितः) नाई, हज्जाम; १-२३०॥ पु. (दाहः) ताप, जलन, गरमी, रोग-विशेष; १-२१७/
अ. (तत्) वाक्य-आरंभक अव्यय विशेष; १-२४, पुं. (डिम्भः) बालक, बच्चा, शिशु; १-२०२।
४१; २-९९, १७६, १८४, १९८। स्त्री. (दोला) झूला, हिंडोला; १-२०७।
पु. सर्व (तम् उसको; १-७। पु. (दोहदः) गर्भिणी स्त्री की अभिलाषा विशेष; त.
न सर्व (तत्) वह, उसको; १-२४, ४१; २-९९, १-२१७।
१७६, १८४, १९८।
स्त्री सर्व (ताम्) उसको; २-१९८। अ. (न) नहीं; मत; २-१८०, १९८।
सर्व (तेन) उससे १-३३; २-१८३, १८६, २०४। अ (अव-धारण-अर्थ) निश्चय वाचक अर्थ में: ताए सर्व स्त्री (तस्यै) उसके लिये; २-१९३। २-१८४।
सर्व (ते) वे; १-२६९; २-१८४। स्त्री. (नदी) नदी, जल-धारा; १-२२९।
तइअं
वि (तृतीयम्) तीसरा; १-१०१। वि (नतः) नमा हुआ; प्रणत; झुका हुआ; २-१८०।
तओ अ. (ततः) अब, इसके बाद १-२०९।
तंसं न (लांगलम्) हल; कृषि-औजार १-२५६।
वि न (त्रयस्त्रम्) त्रिकोण; तीन कोने वाला; न (लांगूलम्) पूंछ; १-२५६।
१-२६; २-९२।
८९।
डण्डो
डट्ठो
ड्डढो डब्भो डम्भो डरो डसइ डसण डहइ डाहा
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डिम्भा डोला डोहलो
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