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५२
पञ्चसंग्रह
वर्णन
२००
मोहकर्मके भुजाकार बन्धोंका निरूपण १९२ सासादन गुणस्थानमें बन्धसे व्यच्छिन्न होनेवाली मोहकर्मके अल्पतर और अवक्तव्य बन्धोंका वर्णन १९४
प्रकृतियाँ
२१७ नामकर्मके बन्धस्थान आदिका निर्देश १९६ अविरत आदि चार गुणस्थानोंमें बन्धसे व्युच्छिन्न नामकर्मके बन्धस्थानोंका निरूपण
होनेवाली प्रकृतियाँ
२१७-२१८ नामकर्मके भुजाकार बन्धस्थानोंका वर्णन १९६-१९८ अपूर्वकरण गुणस्थानमें बन्धसे
, २१९ नामकर्मके अल्पतर और अवक्तव्य बन्धस्थानोंका नवें और दशवें गुणस्थानमें , , २२०
१९८-१९९ तेरहवें गुणस्थानमें बन्धसे व्युच्छिन्न होनेवाली नामकर्मके चारों गतियोंमें सम्भव बन्ध
प्रकृतिका निर्देशकर प्रकृत अर्थका उपसंहार २२१ स्थानोंका निरूपण
शतककार-द्वारा मार्गणाओंमें बन्ध व्युच्छिन्न . नरकगति युक्त बँधनेवाले अट्ठाईस प्रकृतिक
प्रकृतियोंको जाननेका निर्देश
२२२ स्थानका वर्णन
२०१ भाष्यगाथाकार-द्वारा नरकगतिमें बन्धसे व्युच्छिन्न तिर्यगति युक्त बँधनेवाले प्रथम तीस प्रकृतिक
होनेवाली प्रकृतियोंके निरूपण २२३-२२४ ___ स्थानका वर्णन
२०२ तिर्यग्गतिमें प्रकृतियोंके बन्धादिका निरूपण २२५ तिर्यग्गति युक्त बंधनेवाले द्वितीय और तृतीय
मनुष्यगतिमें , " "
२२६ . प्रकारके तीस प्रकृतिक स्थानोंका वर्णन २०३ । देवगतिमें
२२७ तिर्यग्गति युक्त बँधनेवाले तीनों प्रकारके उनतीस धवनत्रिक देव और सर्व देवियोंके बन्धादिका - प्रकृतिक बन्धस्थानोंका निरूपण
२०४ निरूपण
२२८ तिर्यग्गति युक्त बंधनेवाले छब्बीस प्रकृतिक बन्ध
कल्पवासी देवोंके बन्धादिका निरूपण २२९ स्थानका वर्णन
२०५
इन्द्रियमार्गणाकी अपेक्षा प्रकृतियोंके बन्धादिका तिर्यग्गति युक्त बँधनेवाले प्रथम पच्चीस प्रकृतिक
वर्णन -
२३० स्थानका वर्णन २०५ कायमार्गणाकी
" २३१ तिर्यग्गति युक्त बँधनेवाले द्वितीय प्रकृतिक बन्ध
योगमार्गणाकी
२३२-२३४ - स्थानका वर्णन
२०६ वेदमार्गणाकी
२३५ तिर्यग्गति युक्त बँधनेवाले तेईस ,
कषायमार्गणाकी ,
२३६ मनुष्यगति युक्त बंधनेवाले तीस , २०८ ज्ञान, संयम और दर्शनमार्गणाकी अपेक्षा प्रकृ. " बंधनेवाले प्रथम उनतीस ,,
२०९ तियोंके बन्धादि जाननेका निर्देश २३६ बँधनेवाले द्वितीय
लेश्या मार्गणाकी अपेक्षा प्रकृतियोंके बन्धादिका ,, बंधनेवाले तृतीय
वर्णन
२३७-२४० ,, बँधनेवाले पच्चीस
२११ भव्य और सम्यक्त्व मार्गणाकी अपेक्षा , २४१ देवगति युक्त बँधनेवाले इकतीस
२१२ शेष मार्गणाओंकी अपेक्षा वन्धादि जाननेका . बँधनेवाले तीस
२१२ - निर्देश
२४२ . बँधनेवाले प्रथम उनतीस
कर्म प्रकृतियोंके स्थिति बन्धके नव अधिकारोंका ,, बंधनेवाले द्वितीय
निरूपण
२१३ ,, बंधनेवाले प्रथम अट्ठाईस
मूल प्रकृतियोंके स्थिति बन्धका वर्णन
२४३ ,, बँधनेवाले द्वितीय
कोंके आबाधाकालका निरूपण
२४४ ,, बँधनेवाले एक
" ,
कर्म-निषेधका निरूपण २१४
२४५ गुणस्थानोंकी अपेक्षा प्रकृतियोंके बन्ध-स्वामित्वका
कर्मोंकी उत्तर प्रकृतियोंके उत्कृष्ट स्थितिबन्धका निरूपण २१५-२१६ विशद वर्णन
२४६-२४९ मिथ्यात्व गुणस्थानमे बन्धसे व्यच्छिन्न होनेवाली कर्मोकी उत्तर प्रकृतियोंके जघन्य स्थितिबन्धका प्रकृतियाँ
विस्तृत वर्णन
२४९-२५२
२०७
२०९ २१०
२१३
२४३
TP
, २१४
२१६
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