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पश्चसंग्रह
शतक और सप्ततिका इन दोनों ही प्रकरणोंमें भंगोंका निरूपण करनेवाली अनेकों भाष्यगाथाएँ शब्दशः समान हैं, जिन्हें उनके रचयिताने दोनों ही प्रकरणोंकी स्वतन्त्रताको अक्षुण्ण रखनेके लिए दोनों ही प्रकरणोंमें निबद्ध किया है और इसीसे यह सिद्ध होता है कि इन प्रकरणोंके भाष्यगाथाओंके रचयिता एक ही व्यक्ति हैं।
-हीरालाल शास्त्री
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