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________________ ग्रन्थ-विषय-सूची १जीवसमास-अधिकार मंगलाचरण और वस्तु-निरूपणकी प्रतिज्ञा जोवप्ररूपणाके भेद गुणस्थानका स्वरूप और भेद मिथ्यात्वगुणस्थानका स्वरूप सासादनगुणस्थान सम्यग्मिथ्यात्वगुणस्थान अविरतसम्यक्त्वगुणस्थान, देशविरतगुणस्थान , प्रमत्तसंयतगुणस्थान अप्रमत्तसंयतगुणस्थान , अपूर्वकरणगुणस्थान , , अनिवृत्तिकरणगुणस्थान , सूक्ष्मसाम्परायगुणस्थान उपशान्तकषायगुणस्थान ,, क्षीणकषायगुणस्थान , सयोगिकेवलिगुणस्थान - , अयोगिकेवलिगुणस्थान सिद्धोंका स्वरूप जीवसमासका स्वरूप जीवसमासोंके भेद पर्याप्तिप्ररूपणा प्राणप्ररूपणा संज्ञाप्ररूपणा आहारसंज्ञाका स्वरूप भयसंज्ञा मैथुनसंज्ञा परिग्रहसंज्ञा , मार्गणाका स्वरूप और भेद आठ सान्तरमार्गणा गतिका स्वरूप नरकगति , पृष्ठ मनुष्यगति स्वरूप १-४३ देवगति सिद्धगति , इन्द्रियमार्गणाका वर्णन और इन्द्रियका स्वरूप इन्द्रियोंके आकार एकेन्द्रियादि जीवोंके इन्द्रिय-निरूपण इन्द्रियोंके विषय एकेन्द्रिय जीवका स्वरूप द्वीन्द्रियजीवोंके भेद त्रीन्द्रिय जीवोंके भेद चतुरिन्द्रिय जीवोंके भेद पंचेन्द्रिय जीवोंके भेद अतीन्द्रिय जीवोंका स्वरूप कायमार्गणाका वर्णन और कायका स्वरूप पृथिवीकायिक जीवोंके भेद जलकायिक अग्निकायिक वायुकायिक वनस्पतिकायिक .. साधारणवनस्पतिकायिक जीवोंका वर्णन त्रसकायिक जीवोंके भेद अकायिक जीवोंका स्वरूप योगमार्गणाका वर्णन और योगका स्वरूप मनोयोगके भेद और उनका स्वरूप १८-१९ वचनयोगके भेद और उनका स्वरूप औदारिक काययोगका औदारिक मिश्रकाययोग वैक्रियिककाययोग वैक्रियिकमिश्रकाययोग आहारककाययोग आहारकमिश्रकाययोग १३ कार्मणकाययोग १३ अयोगि जीवोंका स्वरूप १३ वेदमार्गणाका वर्णन और वेदका स्वरूप or rrrrrr"""377urur 9999 P.mmxAX222222 مہ مہ ~ ہ ~ ० ० ० ० wwNNY Y Y Y Y ४ ww w r ہ ~ ہ ~ ~ तिर्यग्गति , Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001937
Book TitlePanchsangrah
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages872
LanguageSanskrit, Prakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Karma
File Size21 MB
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