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शतक
१५
एते त्रयो राशयो मीलिताः ४५३६० मध्यमदशप्रत्ययानां भंगाः भवन्ति । देशसंयतमें दश-बन्ध-प्रत्यय-सम्बन्धी भङ्ग इस प्रकार उत्पन्न होते हैंप्रथम प्रकार-६।१०।४।३।२राह इनका परस्पर गुणा करने पर १२६६० भङ्ग द्वितीय प्रकार-६।१०।४।३।२।२।६ इनका परस्पर गुणा करने पर २५६२० भङ्ग होते हैं। तृतीय प्रकार-६।।४।३।२।६ इनका परस्पर गुणा करने पर ६४८० भङ्ग होते हैं। दश बन्ध-प्रत्यय-सम्बन्धी सर्व भङ्ग
४५३६० होते हैं।
का० भ०
देशसंयतके ग्यारह बन्ध-प्रत्यय-सम्बन्धी भङ्गोंको लानेके ४ . : लिए कूट-रचना इस प्रकार है
इंदिय चउरो काया कोहाई दोण्णि एयवेदो य । हस्साइदुयं एयं जोगो एक्कारसं देसे ॥१८७॥
१।४।२।१।२।१ एदे मिलिया ११ । १।४।२।१।२।१ एकीकृताः ११ प्रत्ययाः। एतेषां भंगाः ६।५।४।३।२।। एते अन्योन्यहताः ६४८० ॥१८॥
अथवा देशसंयतमें इन्द्रिय एक, काय चार, क्रोधादि कषाय दो, वेद एक, हास्यादि युगल एक और योग एक; ये ग्यारह बन्ध-प्रत्यय होते हैं ।।१८७॥ - इनकी अंकसंदृष्टि इस प्रकार है-१+४+२+१+२+१=११ । ।
इदिय तिणि य काया कोहाई दोणि एयवेदो य । हस्सादिदुयं एयं भयदुय एयं च एयजोगो य ॥१८८॥
१॥३।२।।२।। एदे मिलिया ११। १।३।२।१।२।१।१ एकीकृताः ११ प्रत्ययाः। एतेषां भङ्गाः ६।१०।४।३।२।२।६ अन्योन्यगुणिताः २५६२० ॥१८॥
अथवा इन्द्रिय एक, काय तीन, क्रोधादि कषाय दो, वेद एक, हास्यादि युगल एक भयद्विकमेंसे एक और योग एक; ये ग्यारह बन्ध-प्रत्यय होते हैं ॥१८॥ इनकी अंकसंदृष्टि इस प्रकार है--१+३+२+१+२+१+१=११ ।
इंदिय दोणि य काया कोहाई दोण्णि एयवेदो य । हस्साइदुयं एयं भयजुयलं एयजोगो य ॥१८॥
१२।२।१।२।२।। एदे मिलिया ११ । १२।२।१।२।२।१ एकीकृताः ११ प्रत्ययाः । एतेषां भङ्गाः ६।१०।१३।२। एते गुणिताः १२१६० ॥१८॥
अथवा इन्द्रिय एक, काय तीन, क्रोधादि कषाय दो, वेद एक, हास्यादियुगल एक, भयद्विकऔर योग एक; ये ग्यारह बन्ध-प्रत्यय होते हैं ॥१८६।।
इनकी अंकसंदृष्टि इस प्रकार है-१+२+२+१+ +२+२+१=११ ।
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